________________
आवश्यक
निर्युक्ति
दीपिका ।
॥ १ ॥
Jain Education Internatio
वांचकोने सादर विज्ञप्ति
-> f.
श्रीद्वादशांगीना प्रणेता श्रीगणधर भगवंत रचित श्री आवश्यकसूत्रनी निर्युक्ति युगप्रधान श्रीमद् भद्रबाहुस्वामी महाराजे अने चूर्णि श्रीमद् जिनदासगणिमहत्तरे करेली छे. ते निर्युक्ति उपर विस्तृत टीका चौदशे चुम्मालीस प्रन्थना प्रणेता आचार्य श्रीमद् हरिभद्रसूरिजी महाराजे करेल छे. आ चूर्णि तथा टीकाना आधारे निर्युक्ति उपर श्रीअलगच्छना आचार्य श्रीमेरुतुङ्गसूरिजीना शिष्य आचार्य श्रीमाणिक्यशेखरसूरिजी महाराजे दीपिका रचेल छे. निर्युक्ति, चूर्णि तथा टीकामां कोई पण स्थळे पोताना गच्छनी मान्यतानो नामनिर्देश पण नहि होवा छतां सदरहु दीपिकामां पोताना गच्छनी मान्यताओनी जेवी के मुहपत्तिने बदले वखनो छेडो, पर्व दिवसे ज पौषध, पौषधमां आहारनो निषेध वगेरेनी पुष्टि करवाने कल्पित चर्चाओ उपस्थित करीने तेने सिद्ध करवा प्रयत्नो करेला छे. हरकोई प्रन्थकारने पोताना स्वतंत्र रचेल ग्रन्थमां पोतानी अगर पोताना गच्छनी जे जे मान्यताओ होय तेने शास्त्रीय प्रमाणोथी सिद्ध करवाने माटे स्वतंत्र चर्चाओ उभी करी तेने सिद्ध करवानी छूट होय छे, परंतु मौलिक प्रन्थो उपर टीका, चूर्णि वगेरेना आधारे ज्यारे लखवानुं होय त्यारे तेमां आवी विकृति करवी ते कोई पण रीतिए हितावह नथी. आ ग्रन्थ छपावती वखते तेमनी मान्यताओनुं खंडन टीप्पणीओ करवाथी थई शके तेम होवा छतां पण तेज ग्रन्थमां तेज प्रन्थकारनी मान्यतानुं खंडन कर उचित नहि लागवाथी सदरहु प्रन्थमां तेवुं कंई पण करवामां आवेल नथी, परंतु जेवो ग्रन्थ छे तेबोज छपाववामां आवेल
For Private & Personal Use Only
सादर विज्ञप्ति
॥ १ ॥
www.jainelibrary.org