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________________ निवेदन। बावश्यक नियुक्तिदीपिका ॥ प्रकाशकीय निवेदन । सदरहु ग्रन्थमालानो जेओश्रीना उत्तम गुणोथी भक्तिभावे प्रेराईने प्रादुर्भाव करवामां आव्यो छे तेओश्री सकलागमरहस्यवेदी परमगीतार्थ स्वर्गस्थ आचार्यदेव श्रीमद् विजयदानसूरीश्वरजीना समुदायना मुनिपुंगवोना ज्ञानभक्तिना उपदेश तथा ग्रन्थना संशोधनमा पोताना अमूल्य समयनो लाभ आपवाद्वारा तैयार थयेल आ आवश्यकनियुक्तिदीपिका नामना अन्थनो बीजो विभाग ज्ञानप्रिय जनताना हाथमा मूकता मने अत्यंत आनंद थाय छे. सदरहु ग्रन्थनी उपयोगिता विषे प्रथम विभागना निवेदनमा जणावेल होबाथी अत्रे ते संबंधी कई पण उल्लेख करवामां आवतो नथी. सदरहु ग्रन्थना कर्ता विषे जो साहित्य उपलब्ध थशे तो पछीथी आपवामां आवशे एम प्रथम विभागना निवेदनमा जणाववामां आवेल, परंतु खेद साथे जणावq पडे छे के कई पण विशिष्ट सामग्री प्राप्त थयेल नथी तेथी अत्रे आपवामां आवेल नथी. सदरहु ग्रन्थना प्रथम विभागमा केटलीक अशुद्धिओ रही जवा पामी हती परंतु तेना प्रकाशन वखते अवसरना अभावे तेनु शुद्धिपत्रक ते साथे दाखल करवामां आव्युं न हतुं तेथी आ ग्रन्थमा बन्ने विभागोनुं शुद्धिपत्रक दाखल करवामां आव्युं छे. ___सदरहु ग्रन्थना प्रकाशनमा संपूर्ण द्रव्यनी सहाय पूज्य मुनिराजश्री तिलकविजयजी महाराजना उपदेशथी भाणवडनिवासी श्राद्धवर्य शापरीया भाणजीभाई धरमशी तथा तेमना धर्मपत्नी पुरीबाई तरफथी मळेल छे; तेथी आ ग्रन्थ तेना खपी आत्माओने भेट आपवानुं राखवामां आवेल छे. ॥१ ॥ Jain Education Intern For Private & Personal Use Only vw.jainelibrary.org
SR No.600032
Book TitleAvashyakaniryuktidipika Part_2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorManekyashekharsuri
PublisherVijaydansuri Jain Granthmala Surat
Publication Year1945
Total Pages410
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript & agam_aavashyak
File Size20 MB
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