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________________ 0000000000 वाली. ऐसी ऐश्वर्यादि गुणोपेत लक्ष्मीदेवी को त्रिशला क्षत्रियाणी देखती है। और वह लक्ष्मीदेवी कैसी हैं। हिमवान पर्वत के शिखर पर दिग्गजेन्द्रों की लम्बी व पुष्टसूडो के द्वारा अभिषेक कराती हुई ऐसी लक्ष्मीदेवी को त्रिशला क्षत्रियाणी चौथे स्वप्न में देखती है।....................४ ३८) इसके पश्चात पांचवे स्वप्न में त्रिशलादेवी आकाश से उतरती मालाएं देखती हैं। वे मालाए कैसी है? कल्पवृक्ष के ताजे और रस युक्त पुष्पों की जो मालाएं, उन मालाओं से व्याप्त होने से रमणीय है। और वे पुष्प मालाएं कैसी है? चंपा के, अशोक के, पुन्नाग के, नागकेशर, प्रियंगु, शिरीष याने सरसडे के, मोगरे के. मालती के, जाई-जुई के, अंकोल के, कोज के, कोरिट के, मरवा के, नवमल्लिका के, बकुल के, तिल के, वासंतिका बेल के, सूर्यविकासी कमल, चंद्रविकासी कमल, गुलाब के, मोगरे के, एवं आम मञ्जरियाँ।उपर्युक्त पुष्प व मरियाँ वाली वे मालाएं हैं। और कौन गुणवाली वे मालाएं है? अनुपम और मनोहर सुगंध से दसों दिशाओं को सुगंधित करती है। और वे भी मालाएं कैसी है? सर्व ऋतुओं के सुगन्धित पुष्पों की मालाओं के कारण सफेद है, और देदीप्यमान, रमणीय लाल, पीले विगेरे विभिन्न रंग के पुष्पों के बीच - बीच में गुंथनी करने के कारण मानों कलाकृति वाली न हो? ऐसी आश्चर्यकारी लगती हैं यानी कि उन मालाओं में श्वेतवर्ण अधिक है व अन्दर अन्य वर्ण थोड़े
SR No.600025
Book TitleBarsasutra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDipak Jyoti Jain Sangh Mumbai
PublisherDipak Jyoti Jain Sangh Mumbai
Publication Year2002
Total Pages224
LanguageHindi
ClassificationManuscript & agam_kalpsutra
File Size26 MB
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