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थोड़े हैं और उन मालाओं की अतिशय सुगन्ध के कारण भिन्न-भिन्न जाति के रत्न तथा निर्मल उत्तम जाति का लाल सुवर्ण, उनके जो आभरण और जो आभूषण, उन आभरण आभूषणो से सुशोभित है, मस्तक प्रमुख अंग, अंगुली प्रमुख ऊपांगवाली, Q जिसके स्तन युगल चमकते व निर्मल कलशों के समान गोल और कठन है, तथा मोती के हार, मोगरा फूल की मालाऐं से सुशोभीत तथा उन हारों के बिच में पन्नादि नंगो से शोभायमान, आखों को आकर्षित करने वाले मोती के गुच्छों से उज्जवल - ऐसे मोतियों के हार से शोभित, हृदय पर पहनी हुई सुवर्णमाला द्वारा सुशोभित ऐसा जो कण्ठ में पहना हुआ रत्नमय धागा, उससे शोभीत है। और वह लक्ष्मी देवी कैसी है? कंधे तक लटकते दो कुण्डलवाली, इससे अधिक शोभायमान और सुन्दर कान्तिवाला मानो मुंह कुटुम्बी न हो इस प्रकार उस (मुंह) के साथ शोभने लगी, उसके दिव्य चक्षु युगल कमल के समान निर्मल, विशाल व रमणीय है ऐसी, कान्ति के तेज से चमकते दो कमल जिसके हाथों की शोभा वृद्धि कर रहे हैं और उनमें से मकरंद स्वरुप जल गिर रहा है, ऐसी याने कि-लक्ष्मीदेवी ने दोनो हाथों में दो कमल ग्रहण किये हैं और उनमें से मकरंद गिर रहा है। और वह लक्ष्मीदेवी कैसी है? देवों को पसीना होता नहीं है, सिर्फ क्रीड़ा हेतु ही पवन लेने के लिए कंपायमान यानी चलता हुआ जो पंखा, उससे शोभीत, सम्यक् प्रकार से अलग-अलग केशवाली, श्यामवर्ण वाली, सघन अर्थात अंतर रहित, पतले बालों
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