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________________ श्रीकल्प कल्प मञ्जरी ॥१६॥ टीका छाया-मेघङ्करा १, मेघवती २, सुमेघा ३, मेघमालिनी ४, तोयधरा ५, विचित्रा ६, पुष्पमाला, ७, अनिन्दिता ८; एता अष्ट ऊर्ध्वलोकात् आगताः पञ्चवर्णपुष्पवृष्टिं कृत्वा भगवतो महावीरस्य तन्मातुश्च अदरसामन्ते आगायन्त्यः परिगायन्स्यः अतिष्ठन् ।१६। नन्दोत्तरा १, नन्दा २, आनन्दा ३, नन्दिवर्द्धना ४, विजया ५, वैजयन्ती ६, जयन्ती ७, अपराजिता ८; एता अष्ट पौरस्त्यात् रुचकपर्वतात् आगता आदर्शहस्तगता भगवतस्त्रिशलायाश्च पौरस्त्येन आगायन्त्यः परिगायन्त्योऽतिष्ठन् । २४। ____ समाहारा १, सुप्रतिज्ञा २, सुप्रबुद्धा ३, यशोधरा ४, लक्ष्मीवती ५, शेषवती ६, चित्रगुप्ता ७, मूल का अर्थ- 'मेहंकरा' इत्यादि । (१) मेघंकरा (२) मेघवती (३) सुमेघा (४) मेघमालिनी (५) तोयधरा (६) विचित्रा (७) पुष्पमाला और (८) अनिदिन्ता; ये आठ दिशाकुमारिया ऊर्बलोक से आयीं। वे पाँच वर्ण के फूलों की वर्षा करके भगवान महावीर और उनकी माता से कुछ दूर, आगान-परिगान करती हुई खड़ी रहीं (१६) (१) नन्दोत्तरा (२) नन्दा (३) आनन्दा (४) नन्दिवर्द्धना (५) विजया (६) वैजयन्ती (७) जयन्ती प और (८) अपराजिता; ये आठ पूर्व दिशाके दिशाकुमारिया रुचक पर्वत से आयीं और आयना हाथ में लिये भगवान् तथा त्रिशला के पूर्व दिशा में आगान तथा परिगान करती हुई खड़ी रहीं। (२४) (१) समाहारा (२) सुप्रतिज्ञा (३) सुप्रबुद्धा (४) यशोधरा (५) लक्ष्मीवती (७) चित्रगुप्ता और भूगना स–'मेहकरा' त्याहि. (१) भेव ४२० (२) भेषवती (3) सुभेधा (४) भेवमालिनी (५) ताया (6) वियित्रा (७) पुथ्यमाणा (८) अनिहिता, २. माहिशामा४िाम भांधी तरी मावी. आ माताએએ પંચરંગી ફુલેની વૃષ્ટિ કરી, ભગવાન અને તેની માતાને હાલરડાં સંભલાવતી, જરા દૂર ઉભી રહી. (૧૬) (१) नहात्त। (२) । (3) मानहा (४) नविन (५) विन्या (6) पश्यन्ती (७) जयन्ती (૮) અપરાજીતા, એ આઠ, પૂર્વ દિશામાં રહેલી દિશાકુમારિકાઓ, રુચક પર્વત ઉપરથી ઉતરી આવી તેઓના હાથમાં પણ હતાં. ભગવાન અને તેમની માતાને વિધિયુક્ત વંદન કરી, જરા દૂર ઉભી રહી, હાલરડાં ગાવા લાગી ने सापानने रियाणा avil. (२४) (१) समाजा२८ (२) सुप्रतिज्ञा (3) सुप्रथुद्धा (४) यशोधरा (५) समीपती (६) शेषता (७) [यस्ता मेघडरादिदिक्कुमारीणाम् आगमनम् 5 ર ॥१६॥ For Private & Personal Use Only Jain Education International How.jainelibrary.org
SR No.600024
Book TitleKalpasutram Part_2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherSthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti Rajkot
Publication Year1959
Total Pages504
LanguageSanskrit, Hindi, Gujarati
ClassificationManuscript & agam_kalpsutra
File Size18 MB
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