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श्रीकल्प
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खीणनेरइयाउयत्त१९-खीणतिरियाउयत्त२०-वीणमणुस्साउयत्त२१-वीणदेवाउयत्त२२-खीणमुइनामत्त२३-खाणअसुहनामत्त२४-खीणउच्चगोयत्त२५-वीणनीयगोयत्त२६-वीणदाणंतरायत्त२७-खीणलाइंतरायत्त२८-खीणभोगंतरायत्त २९-खीणउवभोगंतरायत्त३०-वीगीरियंतरायत्त३१-प्पभिइनाणाविहगुणरयणरासी सासओ सिद्धो भविस्सइ ॥सू०४३॥
१३-रत्नराशिस्वप्नफलम् - छाया-रत्नराशिदर्शनेन असौ प्राणातिपातविरमणादिसप्तविंशत्यनगारगुण-द्वादशविधतपो-दूचशीत्यधिकसप्तदशशत-भेदप्रभेदसप्तदशसंयमा-ष्टादशशीलाङ्गसहस्राद्यनेकगुणरत्नराशिरूपो भविष्यति ।
___ अथ च-पूर्वभवोपार्जिततीर्थकरनामकर्मादिलक्षणपरमपुण्यप्राम्भारेण तीर्थकरः क्षीणाभिनिवोधिकज्ञानाऽऽवरणत्व१-क्षीणश्रुतज्ञानावरणत्वर-क्षीणावधिज्ञानावरणत्व३-क्षीणमनःपर्यवज्ञानावरणत्व४-क्षीणकेवलज्ञानावरणस्व५
रत्नराशिस्वमफलम.
१३-रत्नराशि के स्वप्न का फल मूल का अर्थ-'रयणरासिदसणेणं' इत्यादि । रत्न-राशि देखने से वह बालक प्राणातिपातविरमण आदि सत्ताईस अनगार के गुणों, बारह प्रकार के तपों, सत्तरह सौ बयासी 'तणावा' भेद-प्रभेद सहित सत्रह प्रकार के संयम और अठारह हजार शीलांगों आदि अनेक गुणरूपी रत्नों की राशि होगा।
इसके अतिरिक्त-पूर्वभव में उपार्जित तीर्थकर-नाम-कर्म आदि पुण्य के समूह से वह तीर्थकर होगा। तथा १-आभिनिबोधिक-ज्ञानावरण का क्षय, २-श्रुतज्ञानावरण का क्षय, ३-अवधिज्ञानावरण का क्षय, ४-मनःपर्यवज्ञानावरण का क्षय, ५-केवलज्ञानावरण का क्षय, ६-चक्षुर्दर्शनावरण का क्षय,
૧૩-રત્નરાશિના સ્વપ્નનું ફળ भूगन भर्थ-" रयणरासिदसणेणं " याह. २न-शिवायी ते माण प्रादातिपातविरम आदि सत्यापीश मारना गुर, मा२ २i तपो, सत्तरो। भ्याशी "तणावा" -प्रमेह सहित सत्त२ २ना સંયમ અને અઢાર હજાર શીલાંગે આદિ અનેક ગુણરૂપી રત્નોને રાશિ થશે. તે ઉપરાંત પૂર્વભવમાં ઉપાર્જિત તીર્થંકરનામકર્મ આદિ પુણ્યના સમૂહથી તે તીર્થંકર થશે, તથા (૧) આભિનિષિકજ્ઞાનાવરણ ક્ષય, (૨) શ્રુતજ્ઞાનાવરણને ક્ષય, (૩) અવધિજ્ઞાનાવરણને ક્ષય (૪) મન:પર્યવજ્ઞાનાવરણ ક્ષય (૫) કેવળજ્ઞાનાવરણને ક્ષય
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