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श्रीकल्प
मृत्रे
कण-खचित-काश्चन-काश्ची-चश्चित-कटितटां चन्द्रार्द्ध-सम-ललाटां नना-मणि-कनक-रत्न-विमल-महातपनीय-रचित-भूपण-हारा-दहार - प्रयुक्तरत्नकुण्डल-व्यामुक्तक-हेमजाल-मणिजाल - कनकजाल-मूत्रक-तिलकफुल्लक-सिद्धाथिका-कर्णवालिका-शशि-सूर-गृषभवक्त्रक-तलभङ्गक-टित - हस्तमालक-हर्ष-केयूर-वलय-पालम्बा - ङ्गुलीयक-नलाक्ष-दीनारमालिका-प्रतरक -परिहार्यक-पादजाल-घण्टिका-किङ्किणी-रत्नोरुजाल -च्छदितवरनूपुर-चरणमालिका-कनकनिगड-जालक-मकरमुखविराजमाननूपुर - प्रचलित-शब्दव-चिरा-ऽऽभरणां लोहित-कमल-दल-कोमल-कर-चरणां विमल-कमल-दल-विशाल-लोचनां पाणि-पल्लव-गृहीत-भ्रमर-निकर
कल्पमञ्जरी
॥४१५॥
टीका
मनोहर माला-विराजमान थी। उसकी शरीरलता उन्नत मांसल और मृदुल थी। कटिभाग मनोज्ञ मणियों के कणों से जटित सुवर्ण की करधनी से युक्त था। ललाट अर्धचन्द्र के समान था। तथा-जो नाना प्रकार के मणियों सुवर्णों एवं रत्नों के बने हुए आभरण तथा हार, अर्द्धहार, रत्नजटित कुंडल, धारण की हुई हेममाला मणिमाला, कनकमाला, कटिमूत्र, तिलक, फुल्लक, सिद्धार्थका, कर्णवालिका, चन्द्र (चांदला), मूर्य (मर्य के आकार का आभूषण), वृषभवक्त्रक, तलभंग, त्रुटित, हस्तमालक, हर्प, केयूर, वलय, पालम्ब, अंगुलीयक, वलाक्ष, दीनारमालिका, प्रतरक, परिहार्यक, पादजाल, तथा-गमन करने पर मधुर ध्वनि करनेवाली घंटिका-किंकिणी, रत्नों के विशाल समूह से जटित श्रेष्ठ नूपुर, चरणमालिका, कनकनिगड, जालक, मकर मुख की आकृति से शोभायमान नपुर, सुन्दर इन समस्त आभूषणों से सुशोभित थी। उसके कर और चरण लाल कमल के समान कोमल थे। नेत्र निर्मल कमल के पत्र के समान विशाल थे। हाथों में गृहीत, भ्रमर
लक्ष्मीस्वप्नवर्णनम्.
તેમને લલાટ પ્રદેશ અર્ધચંદ્રાકાર હતે. વિવિધ પ્રકારના મણિવાલો રત્નજડિત હાર. તેમજ વિવિધ આભરણે તેમણે धारण ४ा तi. २, मा२,
२ , डेभमासा, भलिभासा, माला, ४२, dिas, pea४, सिद्धार्थ, ४ वाast, 'द्र (यig) सूर्य (सूर्य ने मा२र्नु आभूषष) वृषभ , aart, त्रुटित, तमाख, ७५, यू२, १६य-यूडी, प्राम, अक्षीय-वी 21, Aaiक्ष, दीनारमाति, प्रत२४, परिडे२४ (परिहाय ४) पाna, मने गमन तi મધુર ધ્વનિ કરનાર એ રનના વિશાલ સમૂહથી જડેલ શ્રેષ્ઠ નૂપુર, ચરણમાલિકા, કનકનિગડ, મકરમુખીન પુર
(ઝાંઝર) આ બધાં સુંદર આભરણથી તે શોભાયમાન હતાં. કર અને ચરણુ લાલકમલ સમાન કેમલ હતાં. નેત્ર છે. નિર્મલ કમલપત્ર સમાન વિશાલ હતાં. લાંબા અને ભમરાના રંગ જેવો કેશકલાપ હતો. લાવણ્ય,રુ૫ અને યૌવન
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