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________________ श्रीकल्प ॥३८६॥ मोरे चंदकंत-मणि-णिज्झर-नीरे सिप्प-कला-कमणिजे अइरमणिज्ज सग-सोहा-विडंबिय-सुरवर-विमाणे सव्वोउय-मुह-भवणे अचिंत-रिद्धि-संपण्णे वरभवणे तंसि तारिसगंसि उभो लोहियक्खमयविब्बोयणे तवणिज्जमयगंडो-वहाण-कलिए सालिंगणवट्टिए दही उष्णए मज्झेण गंभीरे गंगा-पुलिण-बालुया-उद्दाल-सालिसए उयचियखोम-दुगूलपट्ट-पडिच्छन्ने अत्थरय-मलग-नवय-कुसत्त-लिंब-सीहकेसर-च्छाइए सुविरइयरयत्ताणे रत्तंसुयसंवुडे सुरम्मे आईणग-रूय-बूर-णवणीय-तूल-फास-मउए पासाईए दरिसणिजे अभिरूवे पडिरूवे सयणिज्जे तंसि तारिसगंसि मुहं सयाणा पुचरत्ता-वररत्त-काल-समयंसि मुत्तजागरा ओहीरमाणी श्रोहीरमाणी इमे एयारूवे उराले कल्लाणे सिवे धन्ने मंगल्ले सस्सिरीए हियकरे सुहकरे पीइकरे चउद्दस महासुमिणे पासित्ता णं पडिबुद्धा। ते णं महामुमिणा इमे-गयो१ वसहो२ सीहो३ लच्छी४ दाम५ ससी६ दिणयरो७ झओ८ कुंभो९ पउमसरं१० सागरो११ विमाणभवणं१२ रयणुच्चओ१३ सिही१४ य ॥०१४॥ ... . छाया-ततः खलु सा त्रिशला क्षत्रियाणी तस्मिन् तादृशे चारु-षड्-दारु-चैर्यादि-विविध-माणिक्यचित्रित-मरण-मनोहराऽऽरम्भ-स्तम्भो-पान्त-कान्त-शालभञ्जिका-मजमणि-काश्चन-रत्न-बन्धुर - शिखर राजभवन- मूल का अर्थ-'तए णं सा तिसला' इत्यादि । तत्पश्चात् वह त्रिशला क्षत्रियाणी जिस उत्तम राजभवनमें वर्णनम्. शयन कर रही थी उस राजभवन का वर्णन करते हैं उस राजभवन के किवाड़ो में छह सुन्दर काष्ठ लगे थे। स्तंभ वैडूर्य आदि विविध प्रकार की मणियों से चित्र-विचित्र प्रतीत होते थे, चिकने और मनोहर रचनावाले थे। उन स्तंभों के उपान्त्य भागमा में सुन्दर पुतलिया बनी हुई थीं। उसके शिखर मनोहर मणियों से, स्वर्ण से और रत्नों से बडे ही मुहावने भूजन - 'तपणं सा तिसला' त्याहि. शिक्षा मनभा शयन री २i said રાજભવનનું વર્ણન નીચે મુજબ છે – આ રાજભવનના કમાડ છ સુંદર પ્રકારના ઈમારતી લાકડાના બનેલાં હતાં, થાંભલાં વર્ષ આદિ વિવિધ ॥३८६॥ પ્રકારની મણિએથી જડેલાં હતાં. આ થાંભલાં પર રંગબેરંગી ચિત્ર દોરવામાં આવ્યાં હતાં. મણિએના ચળકાટ વડે આ ચિત્રકળાઓ ઘણી સુંદર ભાત પાડતી હતી. આ થાંભલાંઓની વચ્ચે સુંદર પૂતળીઓની આકૃતિઓ on કોતરવામાં આવી હતી. પૂતળીઓના માથા મણિરત્નોથી શણગારવામાં આવેલ હતાં. JBAR SEEww.jainelibrary.org
SR No.600023
Book TitleKalpasutram Part_1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherSthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti Rajkot
Publication Year1958
Total Pages594
LanguageSanskrit, Hindi, Gujarati
ClassificationManuscript & agam_kalpsutra
File Size21 MB
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