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________________ श्रीकल्पमूत्रे ॥१४७॥ nation.com टीका- 'एएण' इत्यादि । व्याख्या स्पष्टा ॥ मु०३ || मूलम् -- अस्थि णं मज्झजंबुद्दीवे दीवे नररयणगेहपच्छिममहाविदेहदिप्पम्मि महावप्पम्मि नाम विजए भूत्रिजयवेययंती जयंती नामं णयरी । तत्थ णं पबलभुयबलखवियविपक्खकक्खो जोहणदक्खो णियवीरियरक्खो मियदेवो सिरिवासुदेवोन्त्र महाविहवो अन्नत्यभिहाणो सत्तुमद्दणो भूषणो भुवं सासेइ । तप्परिपालिज्जमाणे पुहवीपट्टाभिहाणे पट्टणे सामिसेवासारो णयसारो णामं कोटवालो विसइ । सो य परावगारपरदोसाओ विसाओविव परम्हो, दप्पणोच्च परगुणगहणुम्मुहो, विवेगिजणवडिंसो, हंसो नीरेहिंतो खीरमिव विविश्चिय दोसेर्हितो गुणं चिणीअ । सो य एगया कयाइ वणावणविहीए नरनाहनिदेसमकेसं सिरंसि धारेमाणो सावहाणो पहियवलं संबलं गहिय लसंतसज्जुकरिसेहिं कइवएहिं पुरिसेहिं बलियबलिवद्दजोडियरहमारुहिय गहणवणमोगाही ॥ मु०३ ॥ छाया - अस्ति खलु मध्यजम्बूद्वीपे द्वीपे नररत्नगेहपश्चिममहाविदेहदीमे महावप्रे नाम विजये भूविजयवैजयन्ती जयन्ती नाम नगरी । तत्र खलु प्रबलभुजबलक्षपितविपक्षकक्षो योधनदक्षो निजवीर्यरक्षो नमितदेवः टीका का अर्थ — व्याख्यान स्पष्ट ही है | ०३|| नयसार की कथा -- मूल का अर्थ - मध्य जम्बूद्वीप नामक द्वीप में, नर - रत्नों के गेह (घर) रूप पश्चिम महाविदेह क्षेत्र को प्रकाशित करने वाले महावम नामक विजय में, इस पृथ्वी की विजयवैजयन्ती - जयपताका के समान जयन्ती - नामक नगरी है। उस नगरी में अपने प्रबल बाहुबल से शत्रुओं के समूह को नष्ट करने वाला, शुरों में शिरोमणि, अपने ही पराक्रम से रक्षित, विरोधी राजाओं को नम्र बनाने वाला, वासुदेव के समान टीअन अर्थ-व्याच्या स्पष्ट छे. (सू०३) નયસારની થા મૂળના અ—મધ્ય જમૂદ્રીપ નામના દ્વીપમાં, નરરત્નોના ગૃહરૂપ, પશ્ચિમ મહાવિદેહ ક્ષેત્રને પ્રકાશિત કરનાર મહાવપ્ર નામના વિજયમાં આ પૃથ્વીની વિજયવૈજન્તી—જયપતાકાના જેવી જયન્તી નામની નગરી છે. એ નગરીમા પોતાના પ્રબલ બાહુબલથી શત્રુઓના સમૂહને નષ્ટ કરનાર, શૂર પુરુષોમાં શિશમણિ, પોતાના જ પરાક્રમથી For Private & Personal Use Only Jain Education intemational दरबराबर, कल्प मञ्जरी टीका नयसार कथा ॥ १४७॥ www.jainelibrary.org
SR No.600023
Book TitleKalpasutram Part_1
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherSthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti Rajkot
Publication Year1958
Total Pages594
LanguageSanskrit, Hindi, Gujarati
ClassificationManuscript & agam_kalpsutra
File Size21 MB
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