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________________ प्रथम्न २५१ 1 मेरे पुत्र के आगमन के सूचक हैं, परन्तु पुत्र नहीं दिखलाई देता है, इसका क्या कारण है ? । ५२५३ । मेरे शरीर में रोंगटे खड़े हो रहे हैं; मन में प्रसन्नता हो रही है, स्तनोंसे दूध करता है और दिशायें निर्मल दिख रही हैं परन्तु मेरा पुत्र नहीं दिखता है । कहीं यह ब्रह्मचारी ही मेरा पुत्र न हो । यदि यह निन्दित और कुत्सितरूपवाला ही मेरा पुत्र हुआ, तो सत्यभामा को मैं अपना मुँह कैसे दिखलाॐगी ? वह बुरे ग्राशय की धारण करनेवाली घमंडिनी अवश्य ही मेरी हँसी करेगी । ५४-५६ । मैं बड़ी ही हूँ | मेरा बड़ा भारी अपमान होगा। इस प्रकार चिन्ता करते २ रुक्मिणीको एक दूसरी चिन्ता यह हुई कि मेरी कूंख में श्रीकृष्णनारायणका पुत्र ऐसा कैसे हो सकता है ? क्योंकि बीज तो क्षेत्र के सम्बन्धसे अच्छा बुरा होता है । अर्थात् बुरे खेत में पड़कर बीज बुरा हो जाता है, और अच्छे खेत में पड़कर अच्छा होता है ।५७-५८ । अतएव मेरे गर्भ से जिसकी उत्पत्ति हुई, वह पुत्र तो बलवान, रूपवान, विद्यावान, गुणी, कीर्तिवान, प्रसिद्ध और श्रेष्ठ होना चाहिये । । ५६ । अथवा क्षेत्र की प्रमाणताका भी क्या निश्चय हो सकता है ? अर्थात् यह भी तो निश्चयपूर्वक नहीं कहा जा सकता कि अच्छे खेत से अच्छा ही फल होता है । जीवधारी पुण्य और पापके प्रभावसे रूपवान तथा कुरूप होते हैं । ६० । यदि प्राणियोंके रूप कुरूप होने में क्षेत्रकी ही प्रमाणता हो तो भोगभूमिके उत्तम क्षेत्र में हरिण, ऊँट, सिंह, हाथी आदि जानवर क्यों उत्पन्न होते हैं । ६१ । अथवा मैं यह विकल्प ही क्यों कर रही हूँ ? पहले मैंने नारदजी के मुँह से सुना था कि मेघकूट नगर में विद्याधरके यहां तेरा पुत्र वृद्धिको प्राप्त हो रहा है । ६२ । वह सम्पूर्ण विद्याओं का कलाका तथा विद्याधरोंका प्रभु होगा, इसमें संशय नहीं है । क्या आश्चर्य है कि वह ही विद्या के प्रभावसे मनोहर माया करके मेरे चित्तकी परीक्षा करनेके लिये यहां आया हो । ६३ ६४॥ परन्तु सोलह लाभोंको प्राप्त करनेवाला, दो विद्याओं से विभूषित और शत्रुओं का जीतनेवाला वह यह For Private & Personal Use Only Jain Educaid International चरित्र www.jaineliorary.org
SR No.600020
Book TitlePradyumna Charitra
Original Sutra AuthorSomkirtisuriji
AuthorBabu Buddhmalji Patni, Nathuram Premi
PublisherBharat Varshiya Anekant Vidwat Parishad
Publication Year1998
Total Pages358
LanguageHindi
ClassificationManuscript & Story
File Size9 MB
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