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________________ अाम्न चरित्र पिताके पास समाचार भेजनेके लिये छोड़ दिया। उससे प्रद्युम्नने कहा, कि तुम पिताके पास जाओ और मैंने जो कुछ किया है, उनसे ठीक २ कह दो । तब उस एक पुत्रने राजा कालसंवरके पास जाकर जैसाका तैसा हाल कह दिया ।५.८। ___अपने पुत्रोंको वापिकाके जलमें शिलासे ढके हुए जानकर कालसंवर क्रोधके मारे आग बबूला हो गया । वह तत्काल ही अपने हाथमें खड्ग लेकर प्रद्युम्नके मारनेके लिये चला। यह देख मन्त्रियोंने रहा हे नाथ ! आपका अकेला जाना ठीक नहीं है। क्योंकि जिसने आपके पांचसौ पुत्रोंको बावड़ी में कैद कर रखे हैं और जिसे अनेक लाभ प्राप्त हुए हैं, वह आप अकेले से कैसे जीता जावेगा ? इसलिए बड़ी भारी सेना लेकर जाना चाहिये ।९.१२। मन्त्रियोंकी बात मानकर राजाने रणभेरो बजवाई और बड़ी भारी सेना लेकर कूच किया ।१३। उस समय प्रद्युम्नकुमार भाइयोंको उल्लंघन करके (?) वापिकाके दूसरे तट पर लज्जासे प्राकुल होकर नीचा मुँह किये हुए बैठ गयो ।१४। और चतुरंग सेनाके सहित अपने पिताको नगरसे निकला हुआ देखकर मोचने लगा, पिताकी मूर्खताका कुछ ठिकाना है उन्होंने उस रंडीकी वातोंमें पाकर मेरे मारनेकी तैयारी की है। ५-१६। इधर प्रद्युम्नकुमार इसप्रकार चिन्ता कर रहा था, उधर राजा कालमंवर रथोंके चक्रोंसे मार्गके बड़े २ पर्वतोंको दलन करता हुआ घोड़ोंके पैरोंसे उठी हुई रजको मदोन्मत्त हाथियों के मदजलसे शमन करता हुआ तथा पैदलोंके समूहसे सारी पृथ्वीको कम्पित करता हुआ बड़ी भारी सेनाके साथ नगरसे बाहर निकला ।१७-१६। वाजोंके शब्दोंमे, हाथियों की गर्जनामे, रथोंके चीत्कारमे, घोड़ोंके हिनहिनाहटमे, धनुषोंकी भन्नाहट और शूरवीरोंके अट्टहाससे कानोंके छिद्र व्याप्त होगये लोग बहरे हो गये।२०-२१। इसप्रकार दिशाओंको व्याप्त करने वाली बड़ी भारी मेनाको देखकर प्रद्युम्नने किंचित हास्य किया और अपने देवोंका स्मरण करके विद्याके प्रभावमे एक बड़ी भारी सेना बनाली। जिसमें हाथी घोड़े पैदल और Jain Educatinterational For Private & Personal Use Only www. j brary.org
SR No.600020
Book TitlePradyumna Charitra
Original Sutra AuthorSomkirtisuriji
AuthorBabu Buddhmalji Patni, Nathuram Premi
PublisherBharat Varshiya Anekant Vidwat Parishad
Publication Year1998
Total Pages358
LanguageHindi
ClassificationManuscript & Story
File Size9 MB
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