SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 38
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ भञ्जन प्र. कल्प ||२८|| Jain Education I आठमा दिवसनी विधिमांः-अढार अभिषेक समये ८ अभिषेक बाद मुद्रात्रय द्वारा जिनाहान मूळमां संक्षेपथी बतान्युं छे-अदार अभिषेक वृहदविधि प्रमाणे करवुं होय तो परि. १ - ऐ ( पाना नं. २०६ ) मां; १५ अभिषेक बाद चंद्र-सूर्यदर्शन करावाय छे. तेना मंत्रो परि. १ - ओ (पाना नं. २०७) मां अने १८ अभिषेक बाद पंचामृत तथा शुद्धजलनो अभिषेक कराववो होय तो परि. १-औ ( पाना नं. २०८) मां आपेल छे. नाम स्थापन समये करवानी विशिष्ट विधि केटलीक प्रतिष्ठाकल्पनी प्रतमां मळे छे. ते परि. १-अं. (पाना नं. २१० ) मां आपेल छे. नवमा दिवसनी विधिमांः-- राज्याभिषेक समये राज्यतिलकनी विधि क्यारे करावाय छे ते मंत्र ( पाना नं. १९८ नी) टिप्पणमां, अने नवलोकांतिक देवोना नाम तथा विनंती परि. १-अ (पाना नं. २११) मां अपेल छे. दीक्षा कल्याणक प्रसंगे - भाववृद्धिमां कारणभूत- कुलमहत्तराना हितोपदेशगर्भित-आशीर्वचन अलंकार उतारता बोलव नो श्लोक, सर्वविरति सूत्र अने देववंदन करता बोली शकाय ते दीक्षा कल्याणकनुं चैत्यवंदन क्रमसर परि. १ - क. स्व ग घ (पाना नं. २१२ २१३।२१४) मां आपेल हे. दशमा दिवसनी विधिमांः-- अधिवासना- अंजननुं सर्वोच्च विधान छे. ते रात्रिए करवानुं होय छे. तेथो कंइपण शरतचूक थाय नहि अने एकदम सरळताथी विधि क्रमसर व्यवस्थित थइ शके ते प्रमाणे अनुभवी शिष्टपुरुषोना अनुभवानुसार गोठववा प्रयत्न कर्यो छे. मूळविधिमा जे कंदपण संक्षेपथो सूचन हतुं ते सर्व विस्तारथी कम नंबर आपका पूर्वक स्पष्ट करेल छे. For Private & Personal Use Only ॥२८॥ www.jainelibrary.org
SR No.600016
Book TitlePratishthakalpa Anjanshalakavidhi
Original Sutra AuthorSakalchandra Gani
AuthorSomchandravijay
PublisherNemchand Melapchand Zaveri Jain Vadi Upashray Surat
Publication Year
Total Pages340
LanguageDevnagri, Gujarati
ClassificationManuscript, Ritual_text, Vidhi, Devdravya, & Ritual
File Size18 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy