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________________ अञ्जन प्र. कल्प ॥२७॥ Jain Education Inti अष्टमंगलपूजन मूळमां बतान्युं नथी परंतु ग्रह - दिक्पाल पूजन साथे ते करावाय छे तेथी शां. वि. स. भा-१ प्रमाणे ( पाना नं. ५० मां ) चालु क्रममां ज लीघेल छे. चोथा दिवसनी विधियां - श्रीसिद्धचक्रपूजन समये नवे पदोनो जाप थाय ते इष्ट छे तेथी कौंसमां ते सूचवेल छे. अने दर्शनादि चार पदोना स्थापना श्लोक मूळमां नथी. पण अ चारदिनकरमां आवता ते श्लोको बोली शकाय तेथी ते परि. १-उ(पाना नं. १८६) मां आपेल छे. पांचमा दिवसनी विधिमा -- श्रीवीशस्थानकपूजन समये मूळमां बतावेल मंत्रोनी साथे वीशस्थानक पूजनादिमां बतावेल वीशे पदोने लगता श्लोको बोलवा होय अने ते ते पदोनों जाप कराववो होय तो ते परि. १-ऊ (पाना नं. १८७) मां आपल छे. छडा दिवसनी विधियां: च्यवनकल्याणकप्रसंगे- ईन्द्रना आभूषणो ते ते लोक कथनपूर्वक मंत्री धारण करावता तेमज इन्द्राणीने आभूषणो पहेरावता शिष्टपुरुषो पाथी प्राप्त थयेल मंत्री बोलवा होय तो परि. १ - ऋ (पाना नं. १९३) मां आपेल छे. अने भगवंतना मात-पितानी विधि लोकव्यवहारथी करावाय छे ते परि. १ - ऋ ( पाना नं. १९४) मां आपो छे. देववंदन विधिमां च्यवन कल्याणक चैत्यवंदन तथा स्ववन केटलीक हस्तलिखित प्रतमां मळे छे. ते परि. १-ल (पाना नं. १९५) मां आपेल छे. arati fart fafaमां :-- जन्मकल्याणक प्रसंगे मेरु पर्वत उपर २५० अभिषेक - श्रीजिनजन्माभिषेक महोत्सव विस्तारथी कराववो होय तो परि. १- ( पाना नं. ९९६) मां आपेल छे. देववंदन विधिमा श्री जिनजन्माभिषेकस्तवन केटलीक प्रतोमा मले छे ते परि. १ - ए (पाना नं. २०५) मां आपेल छे.. For Private & Personal Use Only ॥२७॥ www.jainelibrary.org
SR No.600016
Book TitlePratishthakalpa Anjanshalakavidhi
Original Sutra AuthorSakalchandra Gani
AuthorSomchandravijay
PublisherNemchand Melapchand Zaveri Jain Vadi Upashray Surat
Publication Year
Total Pages340
LanguageDevnagri, Gujarati
ClassificationManuscript, Ritual_text, Vidhi, Devdravya, & Ritual
File Size18 MB
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