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________________ अञ्जन प्र. कल्प ॥१२॥ URSERECCAHARASHTRA | सूरिजी म. आदिनु. ज्ञान- उत्कृष्ट बळ एमनी पासे हतुं. ब्रह्मचर्यनां अणोशुद्ध पालनथी प्राप्त करेली सात्त्विकतानी अनन्य ताकात हती. जिनशासननी निष्प्राणप्राय बनेली रीतिओने पुनर्जीवन बक्षवाना ध्येयने सर्वथा तेओ समर्पित हता. एमणे कंडक जीर्ण-नष्टप्राय बनेलां तीथीनो पुनरुध्धार कर्यो. सुविहित साधुओ माटेनी लगभग भूलाइ चूकेली के दुष्कर बनेली योगोद्वहननी प्रणालिकानुं पुनः स्थापन कयु. साधुओमां नहिवत् बनेली संस्कृन-प्राकृतना तेमज सैद्धांतिक अध्ययननी परिपाटीनुं पुनरुत्थान कर्यु. साधुनी धर्मदेशना (व्याख्यान) नी | पद्धतिनुं आमूल नव संस्करण करीने आजनी देशनापद्धतिन बीजारोपण कयु. अने आवां अनेक यशस्वी कार्योनी माफक ज, आपणां देरासरोमां थतां के देरासरादिने लागतां धार्मिक विधि-विधानोनो पण पुनरुद्धार एमणे कों. प्राचीन आचार्योना कल्पोनो अनेक हस्तप्रति भो मेळवोने, विधि-विधाननां अनुष्ठानोनी तरेहतरेह नी अधिकृत सामग्रीओ प्राप्त करीने, नुं ऊडे अवगाहन-मनन--परिशीलन करवा द्वारा एक बाजु ते महापुरुषोए श्री सिद्धचक्रमहापूजन, शांतिस्नात्रादि विधि, बिंबप्रवेश-प्रतिष्ठादि विधि, नंद्यावर्त महापूजन, अर्हन्महापूजन इत्यादि शास्त्रीय अने पूर्वाचार्यों द्वारा मान्यता प्राप्त अनुष्टानोने सुसंकलित करीने प्रकाशमां मूक्या, अने सैकाओथी वीसरायेला ते परम पवित्र अनुष्ठानोनो पुनः प्रारंभ कराव्यो; तो बीजो बाजु, तदन वीसरायेली अंजनशलाका-प्राणप्रतिष्ठानी क्रियाने, तेना आधाररूप प्रस्तुत "प्रतिष्टाकल्प” ने तेमज " अंजनशलाका ए परम दुष्कर वस्तु छ, तेने करवानी-कराववानी ताकात आ काळमां कोइनी नथी" ए प्रकारनी, दायकाओथी लोकमानसमां घर करी गयेली फडकने के मान्यताने दूर करीने अंजनशलाकाना अनुष्ठानने-पुनः सुग्रथित करी दोधां अने तेनो स्वयं स्वहस्ते अमल पण शरु करी दीधो. सौ प्रथम वि. सं. १९८३ मां प. पू. शासन सम्राटे, चाणस्मा नगरमां नानकडा संक्षिप्त स्वरूपमां, एक अंजनशलाका करी. मारी READANEERIECCASEAST ॥१२॥ Jain Education Internacia For Private & Personal Use Only wwaryainelibrary.org
SR No.600016
Book TitlePratishthakalpa Anjanshalakavidhi
Original Sutra AuthorSakalchandra Gani
AuthorSomchandravijay
PublisherNemchand Melapchand Zaveri Jain Vadi Upashray Surat
Publication Year
Total Pages340
LanguageDevnagri, Gujarati
ClassificationManuscript, Ritual_text, Vidhi, Devdravya, & Ritual
File Size18 MB
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