SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 8
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ Jain Education International ● प्रामुख श्रमण भगवान् महावीर के जीवन पर विस्तारपूर्वक तथा अन्य तीर्थंकरों के जीवनवृत्त के कतिपय तथ्यों पर प्रकाश डालने वाले ग्रन्थ 'कल्पसूत्र' की अधिकाधिक प्रतियाँ तैयार करवा कर श्रमणों और श्रावकों के आध्यात्मिक प्रभ्युत्थान के उद्देश्य से उन्हें सुलभ कराने की पुनीत परम्परा मध्य युग से विगत एक शताब्दी पूर्व तक अक्षुण्ण रही है। भगवान् महावीर का २५००वां निर्वाण महोत्सव मनाने हेतु लगभग दो वर्ष पूर्व राज्य स्तर पर गठित भगवान् महावीर २५००वां निर्वाण महोत्सव समिति ने अनुभव किया कि इस पावन परम्परा को पुनः प्रवाह प्रदान करना भगवान् महावीर के प्रति समुचित श्रद्धाञ्जलि समर्पित करना होगा। इसी भावना से मूल प्राकृत के हिन्दी एवं बांग्लभाषानुवाद सहित यह कल्पसूत्र प्रकाशित किया जा रहा है। इसमें लगभग ४७० वर्ष पूर्व के जैन चित्रों की रंगीन प्रतिकृतियाँ भी प्रस्तुत की गई हैं। मैं श्राशा करता हूँ कि भगवान् महावीर के आदर्श जीवन और सिद्धान्तों के महत्व के प्रति श्रद्धा रखने वाले और जैन कला-प्रेमी महानुभाव इस प्रकाशन का स्वागत करेंगे । महावीर जयन्ती २ अप्रेल १९७७ For Private & Personal Use Only चन्दनमल बैद वित्तमंत्री, राजस्थान, जयपुर www.jainelibrary.org
SR No.600010
Book TitleKalpasutra
Original Sutra AuthorBhadrabahuswami
AuthorVinaysagar
PublisherRajasthan Prakruti Bharati Sansthan Jaipur
Publication Year1984
Total Pages458
LanguageHindi
ClassificationManuscript, Canon, Literature, Paryushan, & agam_kalpsutra
File Size11 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy