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कुलकर - कुल की व्यवस्था करने वाला । युग के प्रारम्भ में जब मानव-प्रजा कुल एवं समूह के रूप में
व्यवस्थित नहीं थी, उस समय में सर्वप्रथम कूल-व्यवस्था का प्रारम्भ करने वाले कुलकर कहलाए।
इस अवसर्पिणी में सात कुलकर हुए हैं। केवलज्ञान - अखिल विश्व के जड़ और चेतन के भूत, भविष्य और वर्तमान कालीन समस्त भावों को जानने
वाला सर्वश्रेष्ठ ज्ञान। कौशालिक -कौशल देश में उत्पन्न । भगवान ऋषभदेव का विशेषण । ऋतु -वैदिक परिभाषा में यह शब्द यज्ञ का वाचक है किन्तु जैन परिभाषा में उपासक के आचरण
करने योग्य एक प्रकार की तपश्चर्या है । क्षुल्लक - छोटी अवस्था में दीक्षित साधु । खादिम - - फल आदि खाद्य पदार्थ । गणधर - तीर्थकर के मुख्य-शिष्य जो गरण की व्यवस्था करते हैं। गणावच्छेदक - गण (गच्छ) की सुरक्षा और विकास के लिए मुनि-वृन्द को संयम आदि की दृष्टि से सम्भालने
__ वाला प्रमुख । गणिपिटक - द्वादशांगी (बारह अंगों का वाचक) गणी - गण (मुनिसमूह) की व्यवस्था करने वाला अथवा प्राचार्यों को शास्त्राभ्यास कराने वाला
व्यवस्थापक प्राचार्य। गन्धहस्ती -श्रेष्ठ जाति का हाथी, जिसके शरीर से एक विशिष्ट प्रकार की गन्ध (मद) निकलती है, उस
गन्ध से अन्य हाथी भय खाते हैं ।
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