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कल्पसूत्र
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उपरोक्त स्थानों में जाने के बाद, वहां उस स्थान पर श्रमण अथवा श्रमणी के पहुंचने के पूर्व ही यदि तैयार किया हुआ चावल प्रोदन मिलता है और पहुंचने के पश्चात् पीछे से तैयार किया हुआ "भिलिंगसूप" (दाल आदि) प्राप्त होता है, तब श्रमण अथवा श्रमणी को चावल प्रोदन ग्रहण करना कल्पता है किन्तु भिलिंग सूप ग्रहण करना नहीं कल्पता है । वहां पहुंचने से पूर्व ही तैयार किया हुआ भिलिंगसूप ( दाल ग्रादि) मिलता है और पहुंचने के पश्चात् तैयार किया हुआ चावल श्रोदन मिलता है, तब उन्हें भिलिंग सूप ग्रहण करना कल्पता है, किन्तु चावल-प्रोदन ग्रहण करना नहीं कल्पता है । उक्त स्थान पर पहुंचने से पूर्व ही यदि दोनों वस्तुएं तैयार की हुई प्राप्त होती हैं तब उन्हें दोनों ही वस्तुएं ग्रहण करनी कल्पती हैं । उक्त स्थान पर पहुंचने के पश्चात् यदि दोनों वस्तुएं बनाई जाती हैं तो उन्हें दोनों ही वस्तुओं को स्वीकार करना नहीं कल्पता है । उक्त स्थान पर पहुंचने के पूर्व जो भी वस्तु तैयार हो, उसे ग्रहण करना कल्पता है और जो भी पदार्थ उनके वहां पहुंचने के पश्चात् बनाया गया हो, वह ग्रहण करना नहीं कल्पता है ।
२५८. वर्षावास में रहे हुए और भिक्षा के लिये गृहस्थकुलों की ओर गये हुए पात्रधारी निर्ग्रन्थ और निर्ग्रन्थिनियों को जब रह-रहकर वर्षा हो रही हो, तब
if it starts raining interminittently. And when tarrying in such places, if they are offered either a dish of rice which had been cooked before their arrival or pulse-soup which was cooked after their arrival, then they may accept the rice but not the soup. If both soup and rice were cooked before their arrival, then they may accept both. If both rice and soup were cooked after their arrival, then they should accept neither of the two. They may accept whatever has been cooked earlier but nothing that has been cooked after their arrival.
258. During paryusana, bowl-carrying monks may take any of the above-mentioned shelters in case of intermittent showers.
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