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कल्पसूत्र
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रुक्खमूलंसि वा उवागच्छित्तए, तत्थ से पुव्वागमणेणं पुव्वाउत्ते चाउलोदणे पच्छाउ भिलिंगसूवे कप्पति से चाउलोदणे पडिग्गाहित्तए, नो से aus लिंगसूवे पडिग्गाहित्तए । तत्थ से पुव्वागमणेणं पुव्वाउत्ते भिलिंगसूवे पच्छाउत्ते चाउलोदणे, कप्पइ से भिलिंगसूवे पडिग्गाहित्तए, नो से कप्पइ चाउलोदणे पडिग्गाहित्तए । तत्थ से पुव्वागमणेणं दो विपुव्वाउत्ताई कप्पंति से दो वि पडिग्गाहित्तए । तत्थ से पुव्वागमणेणं दो वि पच्छा उत्ताइं, नो से कप्पंति दो वि पडिग्गाहित्तए, जे से तत्थ पुन्वागमणेणं पुव्वाउत्ते से कप्पइ पडिग्गाहित्तए, जे से तत्थ पुव्वागमणेणं पच्छाउत्ते, से नो कप्पइ पडिग्गाहित्तए ॥ २५७ ॥
वासावासं पज्जोसवियस्स निग्गंथस्स गाहावइकुलं पिंडवायपडिया अणुपविट्ठस्स निगिज्झिय २ वुट्टिकाए निवइज्जा, कप्पर से अहे
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