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________________ हिन्दी अनुवाद - हिन्दी अनुवाद में कोई वैशिष्ट्य नहीं है। मैंने शब्दश: अनुवाद करने का प्रयत्न किया है। कोष्ठकान्तर्गत पाठ का अनवाद भी कोष्ठक के भीतर ही दिया गया है। अनुवाद कैसा हमा है और उसे करने में कहां तक सफल हुअा हूँ, इसका निर्णय तो पाठक ही कर सकेंगे। तेरापंथी समुदाय के विशिष्ट विद्वान् मुनि श्री नथमलजी एवं मुनि श्री दुलहराजजी ने इस अनुवाद का अवलोकन कर जहां कहीं शाब्दिक परिवर्तन करने का संकेत दिया था, मैंने उसी प्रकार परिवर्तन कर दिया है। मुनिश्री के इस सौजन्य के लिए मैं उनका आभारी हूँ। यांग्ल भाषा में अनुवाद डॉ. मुकुन्द लाठ ने किया है। इस अनुवाद के सम्बन्ध में उन्होंने 'दो शब्द' में अपना मन्तव्य प्रकट किया है। प्रस्तुत संस्करण का वैशिष्टय प्रस्तुत संस्करण कई कारणों से अपना विशिष्ट स्थान रखता है । यद्यपि कल्पसूत्र के अद्यावधि अनेकों सचित्र संस्करण, अनेकों अंग्रेजी एवं हिन्दी अनुवादों के पृथक्-पृथक् संस्करण प्रकाशित हो चुके हैं तथापि प्रकाशित सचित्र संस्करणों में प्रायश: चित्र एक, दो या तीन रंगों में छपे हैं। विविध रंगों वाले चित्र सारी पुस्तक में दो या तीन ही प्राप्त होते हैं। जब कि इस संस्करण में प्रयुक्त प्रति के पश्चिम भारतीय जैन शैली के समग्र-छत्तीसों ही चित्र, मूल चित्रों में प्रयुक्त समस्त रंगों के साथ पहली बार ही प्रकाशित हो रहे हैं। हिन्दी और अंग्रेजी के पृथक्-पृथक् अनुवादों में, किसी में विस्तृत विवेचन प्राप्त होता है, किसी में टीका के आधार से अनुवाद हुआ है तो किसी में सारांश, भावार्थ दिया गया है, जबकि इस संस्करण के हिन्दी अनुवाद में विवेचन या सारांश शैली को न अपनाकर, मूल के भाव को स्पष्ट करते हुए प्रत्येक शब्द का अनुवाद किया गया है। साथ ही दोनों भाषाओं के अनुवाद भी एक स्थान पर ही दिये गये हैं। (xviii ) ein Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.600010
Book TitleKalpasutra
Original Sutra AuthorBhadrabahuswami
AuthorVinaysagar
PublisherRajasthan Prakruti Bharati Sansthan Jaipur
Publication Year1984
Total Pages458
LanguageHindi
ClassificationManuscript, Canon, Literature, Paryushan, & agam_kalpsutra
File Size11 MB
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