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________________ सम्पादन पद्धति :-प्रस्तुत सम्पादन में उपरोक्त १५६३ की लिखित प्रति को प्रादर्श मानकर इसी का मूल पाठ दिया गया है। मुनि पुण्यविजयजी सम्पादित संस्करण में उनके द्वारा स्वीकृत मूल पाठ में कई स्थलों पर कतिपय शब्द अधिक प्राप्त होते हैं, उनमें से जो शब्द प्रसंगोचित होने से आवश्यक प्रतीत हुए, उन्हें मैंने [ ] कोष्ठकान्तर्गत दिया है । कुछ स्थानों पर प्रतिलिपिकार की भूल से जो पाठ छूट गये हैं, उन पाठों को भी मैंने [ ] कोष्ठक के भीतर दिया है। एक दो स्थान पर प्रतिलिपिकार की भूल से कुछ शब्दों की पुनरावृत्ति हुई है, उन शब्दों का इस संस्करण में मैंने परिहार कर दिया है। कई विस्तृत पालापक (पाठ) अर्वाचीन प्रतियों में अविकल रूप से प्राप्त होते हैं, जब कि प्राचीन प्रतियों में उस पाठ के स्थान पर केवल "जाव" शब्द का प्रयोग प्राप्त होता है । ऐसे स्थलों को श्री पुण्यविजयजी ने अपने संस्करण में -1 -1 चिह्नांकित कर मूल पाठ में स्थान दिया है। मैंने भी उसी परम्परा को सुरक्षित रखते हुए उन आलापकों को [ ] कोष्ठक के भीतर दिया है यथा पृ० १३०, १६०, १७० आदि । प्रति में हुत्था-होत्था, गुत्त-गोत्त, भवइ-भवति, विइक्कत-वितिक्कंत, तो-ततो, तए-तते अ के स्थान पर य, अथवा य के स्थान पर अादि शब्दों के प्राकृत के वैकल्पिक रूप भी प्राप्त होते हैं। प्रति में जिस रूप में पाठ प्राप्त हैं, मैंने एकरूपता का लोभ न रखकर यथासम्भव उसी रूप में देने का प्रयत्न किया है। इस प्रति में प्रारम्भ से लेकर स्थविरावलि पर्यन्त सूत्रांक संख्या नहीं दी गई है, केवल साधुसमाचारी में सूत्रांक संख्या प्राप्त होती है। पाठकों की सुविधा को दृष्टिपथ में रखते हुए मैंने मुनि पुण्यविजयजी द्वारा सम्पादित संस्करण के अनुसार ही सूत्रांक संख्या प्रदान की है। मुख्यतया उपरोक्त १५६३ की लिखित प्रति को ही आदर्श मानकर सम्पादन किया गया है, इसी कारण पाठान्तर देकर कलेबर को नहीं बढ़ाया गया है। पाठान्तर की दृष्टि से पाठकों को मुनि पुण्य विजयजी सम्पादित संस्करण देखना चाहिये। ( xvii ) ein Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.600010
Book TitleKalpasutra
Original Sutra AuthorBhadrabahuswami
AuthorVinaysagar
PublisherRajasthan Prakruti Bharati Sansthan Jaipur
Publication Year1984
Total Pages458
LanguageHindi
ClassificationManuscript, Canon, Literature, Paryushan, & agam_kalpsutra
File Size11 MB
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