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कल्पसूत्र १७६
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तिरिक्खजोणिया वा अणुलोमा वा पडिलोमा वा ते उप्पन्ने सम्मं सहइ खमइ तितिक्खइ अहियाइ ॥ ११६ ॥
तए णं समणे भगवं महावीरे अणगारे जाते, इरियासमिए भासासमिए एसणास मिए आयाण- भंडमत्त - निक्खेवणासमिए उच्चार - पासवण - खेल - सिंघाण- जल्ल- पारिट्ठावणासमिए मणसमिए वयसमिए कायसमिए मणगुत्ते वयगुत्ते कायगुत्ते गुत्ते गुतिदिए गुत्तबंभयारी अको अमाणे अमाए अलोभे संते पसंते उवसंते परिनिव्वुडे अणासवे अममे अकिंचणे छिन्नग्गंथे निरुवलेवे । [दुन्नि संघयणगाहाओ - ] कंसे संखे जीवे, गगणे वाऊ य सारएसलिले । पुक्खरपत्ते कुम्मे, विहगे खग्गे य भारुंडे ॥१॥
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