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कल्पसूत्र १७५
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मुण्डित होकर, गृहवास को त्याग कर अनगारत्व स्वीकार करते हैं।
११५. श्रमण भगवान् महावीर एक वर्ष से अधिक एक महीने तक अर्थात् तेरह महीनों तक वस्त्रधारी रहे । उसके पश्चात् वस्त्र रहित हुए और पाणिपात्री (करावी) हुए।
११६. श्रमण भगवान् महावीर प्रब्रजित होने के पश्चात् बारह वर्ष से कुछ अधिक समय तक शरीर की ओर से सर्वदा उदासीन रहे । शरीर का त्याग कर दिया हो इस प्रकार शरीर की प्रोर से सर्वदा प्रनासक्त रहे । साधना काल में जो भी देवकृत, मनुष्यकृत,
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Sramana Bhagavān Mahāvāra wore his cloth for an year and a month, after which he gave up all clothing. He used his hands as his only beggingbowl.
116 Sramana Bhagavān Mahāvira cultivated an attitude of 'giving up the body' (utsrsta-kaya) and ‘renouncing the body' ( tyakta-deha) for a period
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