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अनेक समर्थ विद्वानों ने समय-समय पर इस सूत्र पर प्राकृत भाषा में नियुक्ति तथा चूणि, संस्कृत भाषा में टीकायें लिखीं। बदलते हुए समय को ध्यान में रखकर प्राचीन राजस्थानी, गुजराती में बालावबोध एवं स्तबक लिखे गये । २०वीं शताब्दी में हिन्दी, गुजराती, बंगला और अंग्रेजी भाषा में अनेक अनुवाद हुए। इस सूत्र पर जितना विशाल साहित्य लिखा गया है, उतना विपुल साहित्य किसी भी आगम ग्रन्थ पर प्राप्त नहीं होता है । प्राप्त साधन स्रोतों के आधार से कल्पसूत्र पर प्राप्त व्याख्यादि ग्रन्थों की सूची इस प्रकार है : व्याख्या नाम कर्ता
रचनाकाल नियुक्ति प्राचार्य भद्रबाहु
६ठी शती नियुक्ति वृत्ति कल्पनियुक्ति वृत्ति' जिनप्रभसूरि (जिनसिंहसूरि के शिष्य)
१४वीं शती नियुक्ति प्रवचूरि
मारिणक्यशेखरसूरि दुर्गपद निरुक्त विनयचन्द्र (रत्नसिंह के शिष्य)
१३२५ निरुक्त निरुक्ति
mmar
UR
चूरिण
चूणि
नन्नसूरि टोकाएं टिप्पणक
पृथ्वीचन्द्रसूरि (देवसेनगणि के शिष्य) संदेहविषौषधि टीका
जिनप्रभसूरि (जिनसिंहसूरि के शिष्य) 'केटलॉग ग्राफ संस्कृत एण्ड प्राकृत मेन्युस्क्रिप्ट्स, जैसलमेर कलेक्सन, क्रमांक ४४ (२) २ जिनरत्न कोष, पृ०७८ (३६) 1 ननसूरि कृत चूणि कल्पसूत्र पर है या वृहत्कल्पसूत्र पर, यह सन्देहास्पद है।
११वीं शती १३६४
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