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________________ awww केवल मूल वाचना प्रदान की। इन्होंने दशाश्रुतस्कन्ध सूत्र, बृहत्कल्पसूत्र, व्यवहार सूत्र और निशीथ सूत्र-इन ४ छेद सूत्रों की रचना की। वीर नि० सं० १७० में इनका स्वर्गवास हुआ।' परम्परा के अनुसार प्राचारांग, सूत्रकृत, आवश्यक, दशवकालिक, उत्तराध्ययन, दशाश्रुतस्कन्ध, कल्प, व्यवहार, सूर्यप्रज्ञप्ति और ऋषिभाषित इन दश ग्रन्थों पर नियुक्ति की रचना करने वाले नियुक्तिकार भी यही भद्रबाहु थे । प्रवादों के अनुसार उपसर्गहर स्तोत्र के प्रणेता भी यही थे, प्रसिद्ध ज्योतिविद् वराहमिहिर के भ्राता भी यही थे तथा चन्द्रगुप्त के १६ स्वप्नों का अर्थ भी इन्होंने किया था इत्यादि अनेकों किम्बदन्तियाँ इनके सम्बन्ध में प्राप्त होती हैं। जैन शासन में भद्रबाहु नाम के कई आचार्य हुए हैं। नामसाम्य की भ्रान्ति के कारण समग्र घटनाएं प्रथम भद्रबाहु नाम के साथ सम्बद्ध कर दी गई हों, ऐसा स्पष्टतया प्रतीत होता है। चरम श्रुतकेवली भद्रबाहु उपरोक्त १० ग्रन्थों के नियुक्तिकार नहीं हैं किन्तु अन्य भद्रबाहु नाम के प्राचार्य हैं। इस सम्बन्ध में पागम प्रभाकर मुनिराज श्री पुण्यविजयजी ने वृहत्कल्पभाष्य की प्रस्तावना में, प्राचार्य श्री हस्तीमलजी ने जैन धर्म का मौलिक इतिहास नामक पुस्तक के द्वितीय भाग में, श्री दलसुख मालवणिया ने मुनि पुण्यविजयजी के मत को आधार मानते हुए, अगस्त्यसिंह कृत चूणि सहित दशकालिक की प्रस्तावना में विशदता के साथ विचार करते हुए स्पष्टतया प्रतिपादित किया है कि नियुक्ति की रचना करने वाले प्राचार्य भद्रबाहु अन्तिम श्रुतकेवली न होकर प्रसिद्ध दैवज्ञ वराहमिहिर के भ्राता हैं और नियुक्तियों का रचना-काल ईस्वी छठी शताब्दि का प्रारम्भ है। महत्ता:-टीकाकारों की मान्यतानुसार वर्षाकल्प प्रारम्भ से ५०वें दिन (सम्वत्सरी) की रात्रि में, जहाँजहाँ भी साधुगण रहते थे, वहाँ-वहाँ पर वे इस सूत्र का वाचन करते थे अथवा एक साधु वाचन करता था और अन्य साधु एकाग्रचित से श्रवण करते थे। चतुर्विध संघ के समक्ष पारायण की पद्धति नहीं थी। किन्तु कहते हैं Eutes 'प्राचार्य हस्तिमल्ल : जैन धर्म का मौलिक इतिहास, द्वितीय भाग Jan Education International For Private & Personal use only www.jainelibrary.org
SR No.600010
Book TitleKalpasutra
Original Sutra AuthorBhadrabahuswami
AuthorVinaysagar
PublisherRajasthan Prakruti Bharati Sansthan Jaipur
Publication Year1984
Total Pages458
LanguageHindi
ClassificationManuscript, Canon, Literature, Paryushan, & agam_kalpsutra
File Size11 MB
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