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कल्पसूत्र १०६
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बहुविर्होहिं कल्लाणगपवरमज्जणावसाणे पम्हल- सुकुमाल - गंधकासाइयलूहियंगे अहय- सुमहग्घ- दूसरयणसुसंवए सरस सुरहि-गोसीस-चंदणापुलित्तगत्ते सुइमालावण्णगविलेवणे आविद्धमणिसुवण्णे कप्पिय-हारद्धहार - तिसरय - पालंब - पलंबमाण- कडिसुत्तय कयसोहे पिणद्धगेविज्जे अंगुलिज्जगल लियकयाभरणे नाणामणि- कणग- रयण - वरकडग-तुडियथं भयभुए अहियरुवसस्सिरीए कुंडलउज्जोतिताणणे मउडदित्तसिरए हारोत्थयसुकयरइयवच्छे मुद्दियापिंगलंगुलिए पालंबलंबमाणसुकयपडउत्तरिज्जे नाणामणि- कणग- रयण-विमल-महरिह- निउणोविय- मिसिमिति - विरइय-सुसिलिट्ठ - विसिट्ठ- लट्ठ - आविद्ध- वीरवलए, किंबहुना ?
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