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गव्विय-सउणगण-मिहुण-सेविज्जमाणसलिलं पउमिणिपत्तोवलग्गजलबिंदुमुत्तचित्तं पिच्छइ सा हिययनयणकंतं पउमसरं [नाम] सरं सररुहाभिरामं १० ॥४३॥ ___ तओ पुणो चंदकिरण-रासि-सरिस-सिरिवच्छसोहं चउगमणपवड्ढमाण-जलसंचयं चवल-चंचलुच्चायप्पमाण-कल्लोल-लोलंत-तोयपडुपवणाहय-चलियचवलपागड-तरंग-रंगंत-भंग-खोखुब्भमाण-सोभंतनिम्मल-उक्कड-उम्मीसह-संबंध-धावमाणो-नियत्त-भासुरतराभिरामं महामगर-मच्छ-तिमि-तिमिगिल-निरुद्ध-तिलितिलियाभिघाय-कप्पूरफेणपसरं महानई-तुरियवेग-समागय-भम-गंगावत्त-गुप्पमाणुच्छलंत
कल्पसूत्र ८०
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