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[450] In the Chakkhandagama, the section on Khuddabandha
[79] How many parts are there of the mithyadristi (wrong belief) of all jivas (living beings)?
[79] They are infinite parts.
[81] According to the sannanavada (doctrine of sentient beings), how many parts are there of the sanni (sentient) jivas of all jivas?
[81] They are infinite parts.
[83] How many parts are there of the asanni (non-sentient) jivas of all jivas?
[83] They are infinite parts.
[85] According to the aharanavada (doctrine of food-taking), how many parts are there of the ahara (food-taking) jivas of all jivas?
[85] They are innumerable parts.
[87] How many parts are there of the anaharaka (non-food-taking) jivas of all jivas?
[87] They are innumerable parts.
11. The Appabahuganuamo (Doctrine of the Few and the Many)
[1] According to the gatianuvadam (doctrine of movement), there are five gatis (modes of existence) in brief.
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४५०] छक्खंडागमे खुद्दाबंधो
[२, ११, ७९ मिच्छाइट्ठी सव्वजीवाणं केवडिओ भागो ? ॥ ७९ ॥ अणंता भागा ॥ ८०॥
मिथ्यादृष्टि जीव सब जीवोंके कितने भाग प्रमाण हैं ? ॥ ७९ ॥ वे सब जीवोंके अनन्त बहुभाग प्रमाण हैं ॥ ८० ॥
सणियाणुवादेण सण्णी सव्वजीवाणं केवडिओ भागो ? ॥८१॥ अणंतभागो ।
संज्ञीमार्गणानुसार संज्ञी जीव सब जीवोंके कितने भाग प्रमाण हैं ? ॥ ८१ ॥ वे सब जीवोंके अनन्तवें भाग प्रमाण हैं ॥ ८२ ॥
असण्णी सव्यजीवाणं केवडिओ भागो ? ॥ ८३ ।। अणंता भागा ।। ८४ ॥
. असंज्ञी जीव सब जीवोंके कितनेवें भाग प्रमाण हैं ? ॥ ८३ ॥ वे सब जीवोंके अनन्त बहुभाग प्रमाण हैं ॥ ८४ ॥
आहाराणुवादेण आहारा सबजीवाणं केवडिओ भागो १ ॥ ८५ ॥ असंखेज्जा भागा॥८६॥
आहारमार्गणाके अनुसार आहारक जीव सब जीवोंके कितने- भाग प्रमाण हैं ? ॥ ८५॥ वे सब जीवोंके असंख्यात बहुभाग प्रमाण हैं ।। ८६ ॥
- अणाहारा सयजीवाणं केवडिओ भागो? ॥ ८७॥ असंखेज्जदिभागो ॥ ८८॥
अनाहारक जीव सब जीवोंके कितने भाग प्रमाण हैं ? ॥ ८७ ॥ वे सब जीवोंके असंख्यातवें भाग प्रमाण हैं ॥ ८८ ॥
॥ भागाभागानुगम समाप्त हुआ ॥ १० ॥
११. अप्पाबहुगाणुगमो अप्पाबहुगाणुगमेण गदियाणुवादेण पंच गदीओ समासेण ॥ १ ॥ अल्पबहुत्वानुगमसे गतिमार्गणाके अनुसार संक्षेपसे गतियां पांच हैं ॥ १ ॥
गति सामान्यसे एक प्रकारकी; सिद्धगति और असिद्धगतिके भेदसे दो प्रकारकी; देवगति, अदेवगति और सिद्धगतिके भेदसे तीन प्रकारकी; नरकगति, तिर्यंचगति, मनुष्यगति और देवगतिके भेदसे चार प्रकारकी; तथा नरकगति, तिथंचगति, मनुष्यगति, देवगति और सिद्धगतिके भेदसे पांच प्रकारकी है। इस प्रकारसे गति अनेक प्रकारकी है । प्रकृतमें यहां पांच गतियोंके आश्रयसे अल्पबहुत्वकी प्ररूपणा की गई है, यह अभिप्राय समझना चाहिये ।
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