SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 539
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ARRERASACROGRA थुइमंगलम्मि गुरुणा उच्चरिए सेसगा थुई बिति । चिट्ठति तओ थेवं कालं गुरुपायमूलम्मि ॥ ४९० ॥ पम्हुट्ट मेर सारण विणओ उ ण फेडिओ हवइ एवं । आयरणा सुअदेवयमाईणं होइ उस्सग्गो॥४९१॥ चाउम्मासिय वरिसे उस्सग्गो खित्तदेवयाए उ । पक्खि अ सिन्जसुराए करिति चउमासिए वेगे ॥ ४९२॥ पाउसिआई सवं विसेससुत्ताओं एत्थ जाणिज्जा । पञ्चूसपडिक्कमणं अहक्कम कित्तइस्सामि ॥ ४९३ ॥ सामइयं कड्डित्ता चरित्तसुद्धत्य पढममेवेह । पणवीसुस्सासं चिअ धीरा उ करिति उस्सग्गं ॥ ४९४ ॥ उस्सारिऊण विहिणा सुद्धचरित्ता थयं पकहित्ता । दसणसुद्धिनिमित्तं करिति पणुवीसउस्सग्गं॥ ४९५ ॥ ऊसारिऊण विहिणा कडिंति सुयत्थवं तओ पच्छा । काउस्सग्गमणिययं इहं करेंती उ उवउत्ता ॥ ४९६॥ पाउसिअथुइमाई अहिगयउस्सग्गचिट्ठपजते । चिंतिति तत्थ सम्मं अइयारे राइए सबे ॥ ४९७॥ निद्दामत्तो न सरई अइआरे मा य घट्टणं ऽन्नोऽण्णं । किइअकरणदोसा वा गोसाई तिणि उस्सग्गा॥४९८॥ तइए निसाइआरं चिंतइ चरिमे अ किं तवं काहं । छम्मासा एगदिणाइहाणि जा पोरिसि नमो वा ॥४९९॥ तइए निसाइआरं चिंतिअ उस्सारिऊण विहिणा उ। सिद्धत्ययं पढित्ता पडिक्कमंते जहा पुर्वि ॥५०॥ सामाइअस्स बहुहा करणं तप्पुवगा समणजोगा। सइसरणाओ अ इमं पाएण निदरिसणपरं तु ॥५०१॥ खामित्तु करिति तओ सामाइअपुत्वगं तु उस्सग्गं । तत्थ य चिंतिति इमं कत्थ निउत्ता वयं गुरुणा?॥५०२॥ जह तस्स न होइच्चिय हाणी कज्जस्स तह जयंतेवं । छम्मासाइकमेणं जा सकं असढभावाणं ॥ ५०३ ॥ Jain Education Inter For Private & Personal use only www.jainelibrary.org
SR No.600005
Book TitlePanchvastukgranth
Original Sutra AuthorHaribhadrasuri
Author
PublisherDevchand Lalbhai Pustakoddhar Fund
Publication Year1927
Total Pages634
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript, Ritual_text, & Conduct
File Size12 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy