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________________ बोली अनुक्रमे 'भद्रा' आदि बधी शिलाओनो अभिषेक करे. शिलानी साथेज तेनी उपशिला तथा निधि कलशनो पण अभिषेक करी लेवो, बधी शिलाओना अभिषेक थइ गया पछी शुद्ध जले पखाली अने शुद्ध वस्त्रे लूंछीने शिलाओ कोरी करी उपर घसेला केसर चंदनना छांटा नाखवा, धूप उखेववो, पुष्पो चढाववां अने दिशापालोना वर्णानुसारि वर्णनां वस्त्रो ओढाडवां, ते पछी उपशिला, शिलायुगलो तथा निधि कलशो पोतपोताना स्थापना स्थाने पहोंचाडवां, एम प्रतिष्ठा करवा माटे तैयार राखवां. शिलान्यास करतां पहेलां नीचेना श्लोको बोलीने खाडाओमां त्यां रत्न-धात्वादिनो न्यास करवो. रत्नो, धातुओना ककडाओ, औषधिओ तथा धान्योनी वानीओ लाल बा पीला शुद्ध वस्त्रखंडोमां बांधीने राखवी, ८ पोटलीओमां दरेकमां १-१ रत्न, धातु खंड, औषधी, धान्यवानी मूकवी अने ९मी पोटली आ बधी चीजोनी बांधवी अने मुहर्तनो समय आवे ते पहेलांज अक अक मंत्रश्लोक बोली आपोटलीओ मूकवी. शिलान्यास अने रत्नादिन्यासना मंत्रो: १ इन्द्रस्तु महतां दीप्तः, सर्वदेवाधिपो महान् । वज्रहस्तो गजारूढ-स्तस्मै नित्यं नमो नमः ॥२॥ २ ॐ अग्निस्तु महतां दीप्तः, सर्वतेजोधिपो महान् । मेषारूढः शक्तिहस्त-स्तस्मै नित्यं नमो नमः ॥३॥ ३ ॐ यमस्तु महतां दीप्तः, सर्वप्रेताधिपो महान् । महिषस्थो दण्डहस्त-स्तस्मै नित्यं नमो नमः ॥४॥ ४ नितिस्तु महादीप्तः, सर्वक्षेत्राधिपो महान् । खड्गहस्तःशिवारूढ-स्तस्मै नित्यं नमो नमः॥५॥ - o nal For Private & Personal Use Only Riwww.jainelibrary.org Jain Educati ८०
SR No.600003
Book TitleAchar Dinkar
Original Sutra AuthorVardhmansuri
Author
PublisherJaswantlal Girdharlal & Shah Shantilal Tribhovandas Ahmedabad
Publication Year1981
Total Pages566
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript, Ritual_text, & Conduct
File Size11 MB
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