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आचारदिनकरः
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SHASHISHEKHARE
कही पछी उभां उभां१ नवकार पूरोगणी बेसीने 'नमुत्थुणं' कहेवो. 'जावंति चेइआइं० जावंतकेविसाहू नमोऽर्हत स्तवनने स्थाने 'शान्ति शान्ति निशान्त' इत्यादि लघुशान्ति स्तव कहीने 'जयवीयराय' पूरा कहेवा. ते पछी स्नात्रन अभिषेकजल ते वास्तु भूमिमां वधे छांटवू, दश दिकपालोनु आहान नरी बलिक्षेप करवो, अने ते पछी स्थापनीय शिलासंपुटो तैयार करवा, जो प्रासाद पाषाणनो बनाववो होय तो शिलाओ पाषाणनी अने इंटोनो बनाववो होय तो शिलाओ पण इंटोनी तैयार करवी अने वास्तुभूमिना ४ खूणा
ओमां ४ अने मध्यमां १, आम ५ खाडा शिलाओ करतां कइंक म्होटा खणावीने राख्या होय ते प्रत्येक म्होटा खाडाने नीचे मध्यमां एक एक न्हानो खाडो खणाववो. आ न्हाना खाडाओमा १-१ माटीनो न्हानो कलशियो (कुल९) सात धान्य अने पंचरत्न सहित 'मूकवो, कलशिआ उपर माटीनुं ढांकणुं देवू अने ते उपर लग्न समय आवतां शिला संपुटो थापवा, शिलासंपुटो जे उपर-नीचे बेबे शिलाओ राखीने करेला होय तेओने प्रथम स्नात्र जल वडे पखालीने पछी नाल वाला कलेशोथी शुद्ध जले अभिषेक करी केसर चंदननुं विलेपन करवु अने जे शिलासंपुट जे खाडामा स्थापवानो होय ते त्यां लइ जवो, जो संपुटो वधारे भारे होय अने मुहूर्तना समयमां बराबर जमावीने स्थिर करतां लग्ननो समय निकली जवानो भय होय तो नीचे डाभनी १-१ शली मूकीने संपुटो पोतपोताना खाडामां बराबर जमावी देवा अने ज्यारे स्थापनानो समय आवी पहोचे त्यारे नीचेथी डाभनी शिलाओ काढी लेवी. शिलासंपुटो ए वास्तवमा ५
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