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________________ %A4ARRARS मुहपत्ति । वांदणा। इच्छा संदि० भग० पवेयणु पवे? । इच्छ० तुम्हे अम्ह दव्वगुण पज्जवेहिं अणुओगं अणु० सूरिपदं आरो० गणायरियपयं तथादिगाइ पयं अणु० नंदिकरा. वासनि० देवे वंदा० नंदिसूत्र संभ० नंदिसूत्र कड़ा. काउ० करा. नंदिसूत्र संभ० नंदिसत्र कदा० दव्वगुण अणुओगं अणु, दव्वगुण पज्ज. गणायरियपयं आरो० काउ० करा. वायणा लेवरावणी-कालमंडल संदिसावणी-काल मंडलं पडि० | सजाय पडि० पाभाइअकाल पडि पाली तप करश्यु । खमा० इच्छ० पच्चक्खाण-वांदणा-वेसणगं संदि. खमा बेसणगं ठाएमि । खमा० अविधि आशा०मि० दु० । सूरि-सूरिमंत्रे निषद्या मंत्रे । शिष्य खमा० इच्छ० भग० तुम्हेनिसज्ज समप्पेह । गुरु निषद्या आपे ते निषद्या हाथमां लइ एक त्रण प्रदक्षिणा गुरु सहित नाणने देवी। निषद्या-त्रण पालीनी कामलीनी करवी निषद्या पाट उपर स्थापन करे । खमा० इच्छ० भग तुम्हे० मंतपयाणं करेह । शिष्य गुरुनी दक्षिण भूजा निकटमां बेसे-लग्न बेलाए चंदनचचिंत कर्णमां सूरिमन्त्रप्रदान करे। खमा० इच्छ० भग० तुम्हे अम्ह अक्खे समप्पेह । मंत्रमंत्रित वधती त्रण अक्षत मुष्टि तथा स्थापनाचार्य (मंत्र लखेल पानु) समर्प । शिष्य करतल संपुटमां ग्रहण करे । गुरु सहित नाणने त्रण प्रदक्षिणा आपे अक्षत-स्थापनाचार्य स्थालमा स्थापे । खमा० इच्छ० भग० तुम्हे० नाम ठवणं करेह ।। गुरु० वाखक्षेप पूर्वक-कोटीगण ....पट्टधर आचार्य उपा० साध्वी-श्रावक....श्राविका पमुह चउविह संघ सक्खियं आचार्यश्री विजयनेमिसूरि पट्ट परंपर....प्रवर्तित वर्तमानाचार्य....प्रस्थापित तमारु 4545555ऊ5ER Jan Education Intern For Private & Personal Use Only Nainelibrary.org
SR No.600003
Book TitleAchar Dinkar
Original Sutra AuthorVardhmansuri
Author
PublisherJaswantlal Girdharlal & Shah Shantilal Tribhovandas Ahmedabad
Publication Year1981
Total Pages566
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript, Ritual_text, & Conduct
File Size11 MB
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