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७८ . अहिंसा-वाणी म्ती का प्रारंभ है। प्रभात फेरी ध्वनि की चेष्टा से यह कार्य इतना बढ़ विस्तारक यंत्र द्वारा नाटक, सभायें पाया है। हुयीं। इसमें स्थनीय जैन कन्या पाठ
रतन कुमार जैन शाला का पूर्ण सहयोग रहा। अतएव
सयोजक प्रधानाध्यापिकाजी एवं मंत्री जी के हम पूर्ण आभारी हैं।
उदयपुर केन्द्र के प्रचार कार्य का __() जशपुरनगरादि स्थानों में संक्षिप्त विवरणजाकर प्रचार किया। वहाँ पर सबको .
अपने संबंधित भाइयों को मिशन इसका महत्व बताया गया। उनमें
के सदत्य बनाने तथा सहयोग देने पूर्ण प्रभावना जारी की जा रही है।
के लिये लिख कर प्रेरणा की गई (१०) अखिल भारतीय गृह उद्योग एवं निर्माण प्रदर्शिनी में भी जिसमे से कुछ भाई सदस्य बने। साहित्य दर्शकों को बांटा गया था। - मिशन का जैन साहित्य अपने
(११) श्री महावीर जयन्ती पर सम्पर्क में आने वाले जैन व अजैन अखिल भारतीय छात्र निबन्ध प्रति बन्धुत्रों को पढ़ने के लिये दिया और योगिता रक्खी गयी। निबन्ध विषय सरकारी तथा गैर सरकारी-अफसरों था 'भगवान महावीर' बाहर से आये को व ऊँचे अधिकारियों को मिशन हुये लेखों पर ३ विद्यार्थियों को का जैन साहित्य भेंट किया व पढ़ने कमशः १५) १०) व ५) पुरस्कार को भी दिया, जिसके फलस्वरूप स्वरूप भेजे गये। अन्य विद्यार्थियों बहुत से जैन व अजैन बन्धु जो जैन को मिशन साहित्य भेजा गया। श्री अहिंसा में विश्वास नहीं रखते थे विद्यार्थी नरेन्द्र सर्वप्रथम रहे जो कि पर जैन साहित्य की पुस्तकें पढ़ने की Jain Hostel Allahdad के रुची करने लगे और अजैनों में बहुत एक छात्र हैं। ...
से भाई जिसमें अधिकतर कायस्थ (१२) श्री महावीर जयन्ती पर और राजपूत जाति के हैं जिन्होंनेवितरणार्थ मिशन साहित्य सम्पूर्ण मांस मछली अंडे खाना व शराब भारत की जैन संस्थाओं को उनकी पीने का त्याग कर दिया। कुछ भाइयों माँग के अनुसार भेजा गया। ने तो लिखित प्रतिज्ञा पत्र भी दिये __इसी प्रकार यहाँ मिशन कार्य हैं। इसी प्रकार आँफिसर्स आदि निरन्तर प्रगति कर रहा है। इसका बन्धुओं ने मिशन का साहित्य तथा श्रेय स्थानी जैन समाज विशेषतः श्री 'अहिंसा वाणी' एवं वायस आफ गुलाबचंद जी श्री सुमेरमत्य जी एवं अहिंसा आदि पढ़कर विशेष अध्ययन बाबू सूरजमल जी जैन को इन्हीं करने को रुची उत्पन्नाकी और जैन