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________________ ___* अहिंसा-वाणी के कास नहीं । उनके स्थान पर अब स्तीपुर), श्री रत्नेश कुमार और श्री श्री पं० सिद्धसेन जी गोपलीय ने गुलाब चंदजी रांची। प्रचार कार्य संभाला है। इन कर्मठ वीरों के सहयोग और [७] महाराष्ट्र-श्री प्रो० डा० सेवाभाव के लिए मिशन अाभारी विलास संघवे ने उनका धारवाड़ हैं। सेवा-भावी जैनों के लिये कार्य श्री तवनप्पा की क्या सनवर, हलो। करने के लिये यह क्षेत्र है। मिशन 17 हैदराबाद स्टेट-श्री वी०- उनको निमंत्रण देता है कि वे आगे पी० कोठारी, वकील गुलवर्गा। आवें और कार्य करें ! [६] बम्बई प्रान्त-श्री रमणीक विदेशों में मिशन के प्रतिनिधिगण र० शाह, वकील, बम्बई ने प्रतिनिधि विदेशों में प्रचार करने के लिये रूप में यथासंभव सेवा करने का मिशन का कोई वैतनिक कार्यकर्ता उत्साह प्रगट किया है। नहीं है। बल्कि नवदीक्षित जैन बन्धु(१०) मध्यप्रान्त-श्री ज्ञान चन्द्र गण अथवा प्रवासी भारतीय जैनाजी जैन, वकील नागपुर और श्री जैन बन्धुओं के मिशन को प्रचार शान्तिकुकार डवली देवगांव राजा। करने में पूर्ण सहयोग दिया-अतएव (११) दक्षिण कर्णाटक-श्री के० मिशन इन सभी महाभावों का अत्यभुजवली शास्त्री, मूढविद्री । श्री वर्द्ध- न्त आभारी है:मान हेगड़े ने भी प्रचार किया। (१) अफ्रीका में श्री चैतन्यलाज एतदर्थ मिशन उनका अभारी है। जी, और, श्री के० पी० शाह नैरोवी (१२) मद्रास-मैसूर-स्टेट-श्री तथा गोल्त-कोस्ट के श्री डेविड बुड । के० पारसमलजी बैंगलोर और श्री (२) अमरीका के संयुक्त राज्य डी० जिन रोजेया कलपट्टा उत्साह में श्री ज्ञानेन्द्रजी, प्रो० बम, श्रीमती पूर्वक प्रचार कर रहे हैं। क्लीनस्मिथ और . कुमारी वीणा . (१३) बङ्गाल-श्री कैलाशचन्द्रजी बूलचन्द । जैन, एम० ए० कलकत्ता और श्री . (३) आस्ट्रेलिया-श्रीमती मैकश्रीमन्दर दासजी जैन, कलकत्त।। ड्गल, इप्सविच ।। श्री जयकुमारजी कलकत्ता ने भी सह- (४) इंगलेन्ड-श्रीमती चीयनी योग प्रदान किया है । धन्यवाद। श्रीमती कमलावती जैन, श्रीमती मैथ्यू (१४) विहार-श्री अतन्त प्रसाद मैक्के डा० टाल्वोट ओर कवि फ्रन्क जी जैन, B. Sc. ( Eng.) पटना। मैन्सेल! श्री पं० गोविन्दरामजी जैन शास्त्री (५) इटली-श्री रिचर्डो रिचर्डली झूमरीतलैया श्री परमेश्वर लालजी (६) जरमनी-श्री लोथर वेल्डेल जैन 'सुमन' साहित्यालंकार, (सम- बैड गोड्सवर्ग . HEARTHHTHER
SR No.543515
Book TitleAhimsa Vani 1952 06 07 Varsh 02 Ank 03 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKamtaprasad Jain
PublisherJain Mission Aliganj
Publication Year1952
Total Pages98
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Ahimsa Vani, & India
File Size30 MB
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