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________________ * हिंसा-वाणी ६६ बेंगलोर केन्द्र से अभिधान राजेन्द्र कोष जैसा बहुमूल्य ग्रंथ जरमनी और अमेरिका भेजा गया है । ६. साहित्य निर्माण और अन्वपेण के लिये भी साहित्य भेजा । आज नये शैली के साहित्यनिर्माण की आवश्यकता है । अतः अन्वेषणरत विद्वानों को साहित्य भेजा गया: (१) प्रो० आर्ची बह्म को 'स्याद्वाद मंजरी' आदि ग्रंथ भेजे, जिनके आधार से उन्होंने स्याद्वाद सिद्धान्त की उपयोगिता को घोषित किया है और वह Existen - ce नामक आपकी पुस्तक में उसका उल्लेख कर रहे हैं । (२) हालैंड के प्रो० बुएस "बौद्धतत्वज्ञान” पर जो पुस्तक लिख रहे हैं उसमें उन्होंने जैनधर्म पर लिखना भी आवश्यक समझा है । अतः उन्हें ब्रह्मचारी जी का "जैन बोद्धतत्वज्ञानः” आदि ग्रंथ भेजे हैं । (३) जरमनी के डॉ० बेकर को भी ग्रंथ भेजे हैं। जरमनी में प्रो० मुब्ल (Prof Gruble) मनोविज्ञान के अद्वितीय विद्वान् हैं । जरमनी की जैनलायब्रेरी से उनमें साहित्य दिया गया है । उन्होंने जैनधर्म और मनोविज्ञान पर लिखना स्वीकारा है भारत में प्रो० श्यामसिंह जी जैन, प्रिंसिपल कंचनलता शब्बर वाल आदि विद्वानों को जैन ग्रंथ " भेजे हैं प्रो० ज़िम्मरमैन ने भ० पार्श्वनाथ पर नया प्रकाश डाला है । १०. वेडगोडेसवर्ग जैन लायब्रेरी का कार्य 'सुचारु रीति से चल रहा है, जिसकी रिपोर्ट पत्रिकाओं में निकलती रही है अभी गर्मियों में जरमनी के प्रसिद्ध विद्वान् प्रो० हेल्मथ फॉन ग्लासनाँ भारत पधारे थे । श्री दि० जैनाचार्य सूर्य सागर जी यक्ष और आचार्य तुलसीराम जी से वह मिले थे और शंकासमाधान किया था । उन्होंने इस लायब्रेरी के महत्व को बड़े अच्छे शब्दों में बताया जिसे सुनकर आचार्य द्वय बहुत प्रसन्न हुए । फ्रेंच सरकार व जरमन सरकार ने भी इस लायब्रेरीको साहित्य भेंट किया है, जिसके लिए हम उनके आभारी हैं लायब्रेरी का अपना भवन न होने के कारण कठिनाई हो रही है । कोई दातार इसको बनवा दे तो महती प्रचार हो । ११. पश्चिमी अफ्रीका में एकरोयांग (गोलकोस्ट ) नामक स्थान पर मिशन का केन्द्र भवन बनने का आयोजन सफल हो रहा है । इसके लिए सेठ जबरचंद फूल - चन्द्र जी गोधा चेरिटेबिल ट्रस्ट के माननीय अध्यक्ष श्री फूलचंद जी गोधा ट्रस्ट फंड से पांच सौ रु० एवं श्रीमती गुलाबबाई जी ने प्रदान करना स्वीकार किये हैं । अफ्रीका के संयोजक श्री डेविड बुड
SR No.543515
Book TitleAhimsa Vani 1952 06 07 Varsh 02 Ank 03 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKamtaprasad Jain
PublisherJain Mission Aliganj
Publication Year1952
Total Pages98
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Ahimsa Vani, & India
File Size30 MB
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