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________________ * अखिल विश्व जैन मिशन के प्रथम अधिवेशन के प्रस्ताव * ५१ ४ श्री रमणीक लाल जी शाह ५ ,, गुलाबचन्द जी टोंग्या प्रस्तावक-नाथूलाल जी शास्त्री सर्व सम्मति से स्वीकृत समर्थक-शान्ती भाई जी ह० रिषभदास जी रांका , मोहनलाल जी दिनांक ६-४-५२ प्रस्ताव सं०६ मिशन अपने आगामी प्रोग्राम के लिये दो बातों को अधिक आवश्यक समझता है। १-विदेशों में एक मिशन भेजने की आवश्कता २-उत्तम साहित्य के लिय प्रेस की स्थापना सं० १ विदेशों से नित्यप्रति इस प्रकार का मांग बढ़ती जा रही है, कि भारतीय विद्वानों को अहिंसा धर्म से प्रचार के लिये भेजिये इसलिये मिशन आवश्यक समझता है कि चार महानुभावों का एक मिशन विदेश जावे जो प्रत्यक्ष में वहाँ की जानकारी प्राप्त करे और जो विदेशी विद्वान अहिंसा का प्रचार कर रहे हैं उन्हें प्रोत्साहन दे; और अहिंसा प्रचार के लिये कार्यक्रम निर्धारित करे, उत्तम साहित्य के प्रचार के लिये यह आवश्यक है कि मिशन एक प्रेस की स्थापना करे जिसमें ट्रेक्टों का प्रकाशन और पत्रिकाओं का प्रकाशन हो । बिना प्रेस के मिशन के कार्य की वृद्धि नहीं हो सकती, इसलिये शीघ्र ही एक प्रेस की स्थापना की जाय । प्रस्तावक-रमणीक बी० शाह सर्व सम्मति से स्वीकृत समर्थक-प्रकाशचन्द टोगिया ह० रिषभदास रांका ६-४-५२ प्रस्ताव सं०७ श्री बा० अजितप्रसाद जैन एडवोकेट प्र० संपादक 'बाइस आफ अहिंसा' व 'जैन गजट', लखनऊ और श्री सेठ रावजी नेमचन्द जी शाह सोलापुर के आकस्मिक स्वर्गबास पर हार्दिक शोक प्रदर्शित कर उनके परिवार के प्रति संवेदना प्रकट कर उनकी आत्मा को शान्ति मिशन चाहता है। ह० रिषभदास जी संका दिनांक ६-४-५२ इस प्रस्ताव को सबने मौनावस्था में खड़े होकर पारित किया। .
SR No.543515
Book TitleAhimsa Vani 1952 06 07 Varsh 02 Ank 03 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKamtaprasad Jain
PublisherJain Mission Aliganj
Publication Year1952
Total Pages98
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Ahimsa Vani, & India
File Size30 MB
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