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________________ अहिंसा-वाणी प्रस्ताव सं०४ - देश और विदेश के लोगों में जैन धर्म की जिज्ञासा बढ़ रही है और उसका वे अध्ययन करना चाहते हैं उन्हें किस रूप में किस प्रकार से पत्र व्यवहार द्वारा शिक्षा दी जाय इसलिये यह अधिवेशन निम्नांकित सज्जनों की एक समिति नियुक्त करती है जो जनवरी १६५३ ई० के प्रथम सप्ताह में अपनी रिपोर्ट पेश करेगी कि वह शिक्षा क्रम अमुक प्रकार का बनाया जावे । १ श्री मेथ्यू मैके इंगलैंड २ ,, लोथर वेण्डैल जर्मनी ३ , उग्रसेन जी जैन दिल्ली ,, कामताप्रसाद जो जैन अलीगंज . ,, नानकचन्द जी साधे रोहतक ६ ,, रिषभदासजी रांका। वर्धा ,, डा० मूलचन्द जी जैन इन्दौर ,रमणीर जी शाह बम्बई ६ ,, जयभगवानजी जैन, एडवोकेट पानीपत , प्रो० अनन्तप्रसाद जी जैन पटना ,, मंगलदास जी सेठ . इन्दौर ,, प्रकाश चन्द जी टोंग्या इन्दौर १३ ,, महात्मा भगवानदीन जी दिल्ली १४ ,, प्रो० श्याम सिंह जी जैन लखनऊ। १५ ,, मोहनलाल जी लूकड़ प्रस्तावक प्रकाशचन्द्र टोंग्या समर्थक, सत्यन्धरकुमार जी सेठी - -ह० रिषभदास जी रांका सर्व सम्मिय से स्वीकृत दिनांक ६-४-५२ ई० प्रस्ताव सं०५ जैन मिशन के कार्य के सुचारु चलाने के लिये इसके विधान की आवश्यकता है अतः निम्नलिखित महानुभावों की एक समिति नियुक्त करता है जो चार माह में विधान तैयार करेगा जिसे सदस्यों के पास भेज कर स्वीकृत कराया जायगा नवीन विधान स्वीकृत होने तक पहले के अनुसार जिस प्रकार कार्य हो रहा है उसे यह अधिवेशन मान्य करता है। १ श्री जयभगवान जी पानीपत २ , कामता प्रसाद जी संयोजक ३ ,, रिषमदास जी रांका mour 9 " 02424
SR No.543515
Book TitleAhimsa Vani 1952 06 07 Varsh 02 Ank 03 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKamtaprasad Jain
PublisherJain Mission Aliganj
Publication Year1952
Total Pages98
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Ahimsa Vani, & India
File Size30 MB
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