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________________ २८ * अहिंसा-वाणी * मद् आदि से दूर रहकर अपने पाच- और उसमें शक्ति का उपयोग ठीकरण को शुद्ध नैतिक बनाना चाहिये। ठीक होता है, पर बड़ा नाम रखने हमारी जीवन-शुद्धि होगी तो समाज पर यदि तदनुकूल काम नहीं हुआ तो की जीवन शुद्धि होगी और इसका चारों तरफ से उँगलियाँ उठने लगती असर शनैः शनैः विश्व में फैलेगा। हैं। विश्व मिशन का उद्देश्य विदेशों गान्धोजी एक थे पर वे विश्व व्यापी में धर्मप्रचार है। यह ठीक है। वह हो गये। केवल मिशन नाम रखकर भी किया गान्धीजी राष्ट्र-पुरुष थे और जा सकता है। मिशन के कार्यकर्ता उनका एक-एक मिनट मूल्यवान होता इस बारे में गंभीरता से सोचंगे ऐसी था। उनका जनता र इतना प्रभाव आशा है। था कि वे चाहे जो काम किसी से दूसरी बात इस बारे में यह है करा सकते थे। लेकिन कई काम तो कि मिशन के नाम में "जैन" शब्द वे स्वयं अपने हाथों करते थे। परचर के ऐवज में 'अहिसा' शब्द अधिक शास्त्री का नाम बहुतों ने सुना होगा। व्यापक प्रतीत होता है। हमें अहिंसा उन्हें कोढ़ हो गया था। उनकी मालिश, कहा प्रचार करना है और इस नात सेवा-सुअषा, गांधीजी अपने हाथों हमें अधिक लोगों का सहयोग मिल करते थे। चाहते वे तो किसी धना से सकता है। उनके इलाज का बढिया प्रबंध कर अगर जैन तत्त्व का प्रचार होता सकते थे. पर ऐसे सेवा के काम वे है और जैन शब्द नहीं भी रहता है स्वयं करते थे। इसीसे वे विश्वव्यापी तो घबराने की क्या बात है। इससे, बन सके। इस मिशन को भी ऐसा हमारा क्षेत्र व्यापक होगा। ही सेवा का मिशन बनना चाहिये।। हम जैनों का संगठन बनायें और जैनों की मदद से ही कोई काम शुरू मिशन का नाम करें इसमें किसी को आपत्ति नहीं हो अन्त में मिशन के नाम के बारे सकती। पर अगर वह काय केवल में दो शब्द बोलकर अपने भाषण जैनों तक ही सीमित रहे तो उसे को समाप्त करूँगा। कई बार नाम से अशुभ ही कहा जायगा। मुझे खुशी बड़ी गलतफहमियाँ फैल जाती हैं। है कि मिशन का काम संपूर्ण मानव कई संस्थायें अखिल भारतीय नाम जाति के लिये है और उसमें सबको रख लेती हैं, पर क्षेत्र उनका एक समान स्थान है। ग्राम तक भी नहीं होता। मेरी नम्र मिशन का काम इतना व्यापक मान्यता में नाम छोटा रखकर बड़ा है कि उसमें जितने भी कार्यकर्ता काम करने से हमें कोई रोकता नहीं, जुटें, थोड़े ही होंगे। समाज के कार्य
SR No.543515
Book TitleAhimsa Vani 1952 06 07 Varsh 02 Ank 03 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKamtaprasad Jain
PublisherJain Mission Aliganj
Publication Year1952
Total Pages98
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Ahimsa Vani, & India
File Size30 MB
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