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*श्री अखिल विश्व जैन मिशन के प्रथमाधिवेशन इन्दौर का भाषणके १७ nsa' सचित्र पत्रिका प्रकाशित की, हुये अनावश्यक नवीन मंदिर निर्माण पचास के लगभग ट्रैक्टस और बुक- और प्रतिष्ठा आदि के बजाय प्राचीन लेटस् छपाकर देश विदेश में प्रचार मंदिरों के जीर्णोद्धार में, जैन साहित्य किया तथा रचनात्मक कार्यक्रम और प्रसार में, जैन पुरातत्व अन्वेषण योजनाएं बनाकर इस कार्य को प्रगति- एवं रक्षण में तथा शिक्षा प्रचार शील बनाया है । यह सब सराहनीय में दान देना ही अधिक उपयोगी है। आज का कार्यक्रम तथा कल होने होगा। वाला अहिंसा-सांस्कृतिक सम्मेलन एक बार फिर भी आपके स्वागत सफल हो और उनके द्वारा सत्य, सत्कार में होनेवाली अपनी असमर्थता अहिंसा, अपरिग्रह तथा शांतिमय एवं कमियों के प्रति आपसे क्षमा सिद्धांतों का प्रसार होकर विश्व का चाहना हुआ श्रीमान् माननीय.मिश्रीकल्याण होवे यही मेरी मंगल लालजी सा गंगवाल प्रधान मंत्री कामना है।
मध्यभारत से इस अखिल विश्व ___ मैं यहाँ समाज से भी इतना कहे जैनमिशन के इस प्रथम अधिवेशन बिना नहीं रह सकता कि जैन समाज तथा अहिंसा सांस्कृतिक सम्मेलन का में जो दान प्रवृत्ति है वह सराहनीय उद्घाटन करने के लिए नम्र निवेदन है कितु वर्तमान समय पर दृष्टि डालते करता हूँ।
श्री अखिल विश्व जैन मिशन के प्रथमाधिवेशन
इन्दौर का अध्यक्षीय भाषण
(श्री रिषमदास राका, वर्धा ) भाइयो और बहिनो, .
का अधिवेशन है। इसके संचालक .. आप सबके दर्शन से मुझे बहुत बाबू कामता प्रसाद जी लगनशील आनन्द हो रहा है। मेरा आनन्द कार्यकर्ता हैं। वर्षों से वे सामाजिक इसलिये भी बढ़ गया है कि हम यहाँ और साहित्यिक सेवा कर रहे हैं। मानव जीवन के हित का विचार उनकी श्रद्धा है कि जैन तत्त्वों में संसार करने के लिये एकत्र हुए हैं। ऐसे का हित करने की क्षमता है इसलिये मौके जीवन में बहुत कम आते हैं संसार की भलाई के लिए उन तत्त्वों
जब हम मिल जुल कर अपनी का संसार में प्रसार हो, और संसार । समस्याओं पर विचार करते हैं। में से विषमता, शोषण, असमता,
यह अखिल विश्व जैन मिशन अशान्ति और युद्ध का नाश हो । हम
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