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________________ दिगम्बर जैन । [ वर्ष १० कोरम न होनेसे कमेटीकी कार्रवाई नहीं हुई झालरापाटन, नागौर, पानीपत. बम्बई, भिंड, थी, परन्तु भवनकी ओरसे कार्तिकसे एक अलीगंन कोल्हापुर, सवईमाधोपुर, टीकमगढ़, त्रिमासिक पत्र अवश्य प्रकट होनेवाला है जिसका महेश्वर, कुंथलगिरि, ईलाहाबाद, बड़नगर आदि वार्षिक मूल्य चार या पांच रु. होगा। स्थानोंपर शास्त्रपूजन व व्याख्यानादि द्वारा स्त्रियोंका सत्याग्रह-अभी थोड़े दिन मनाया गया था । हुए सुजानगढ़ आदिसे एक संघ रानगिरि गया राजगृही क्षेत्र के मुकदमें की पेशी ता. था। इसमें ५० स्त्रियाँ थीं। वे रेलमें बड़े ७ जूनको थी । उस दिन न होकर ता. १८ कष्टसे पहुंचनेपर देवदर्शन को गई तो ओसवाल जुलाई को होगी उस दिन हमारी ओरसे लिखित संघका मैनेजर ताला लगाकर धर्मशालामें छिर उत्तर पेश होगा। गया था। ये स्त्रियां दरवाजे पर दो घंटे तक मुक्तागिरि-क्षेत्रके विषय में खापर्डे ने नाखड़ी रही कि जब मंदिर खुलेगा तब ही दर्शन गपुर हाई कोर्ट में अपील की है निसकी पेशी करके भोजन करेगी। अंतमें ३ बजे दर्शन ता० ६ सितम्बर को होगी। करके ही भोजन किया था। इनामी निबंध-भारत. दि. जैन परिष रामदेवीबाई-जो महिला आश्रममें संचा- दकी ट्रेक्ट सीरीजके लिये जो सजन जैनप्तमानकी लिका थी, उनको छ मातकी छुट्टी दे दी गई प्राचीन रीति नीति और उनका संक्षिप्त क्रमबद्ध है और उनका कार्यरतनदेवीजीको सौंपागया है। इतिहाप्त लिखकर १ अगस्त १९२४ तक भेनेंगे श्रुतपंचमी पर्व। उनमें से सर्वोत्तम लेखकको बा० शिवचरणलाल ज्येष्ठ मुदी के दिन यह पर्व निम्नस्थानों जीकी ओरसे सुवर्णपदक दिया जायगा । लेख पर मनाये जाने के समाचार मिले हैं- एक ओर फुरसकेप २५ पृष्ठोंपर होना चाहिये। काम्पलाजी-में दिनको १२ बजे तक इलाहाबाद- की सुमेरचंद दि. जैन बोसरस्वति भवनकी रचना करके पूजन की गई डिगमें कालेनकी सब कक्षाओंके विद्यार्थी रखे फिर शास्त्रमंड रकी सूची तैयार की गई और जाते हैं। रहने, भोजन, व्यायाम आदिका उत्तम नवीन वेष्टन भी स्वदेशी खादीके तैयार कर उनमें प्रबंध है । प्रत्रव्यवहारका पता-लक्ष्मीचंद्र जैन शास्त्रोंको नंबरवार चिक लगाकर बांधे गये। एम० ए० वार्डन, जैन होटल-प्रयाग है। : आरा-में जैनसिद्धांत भवन में पूनन होकर दतिया नरेश-का सिवनी में सेठ पूरनपं० मुनवली शास्त्रीने व्याख्यान दिया। फिर शाहजी, नातिनेता चैनसुखनी, सिं• कुवरसेनजी बा. निर्मलकुमारनीने सबका मिष्टान्न व सीतल भादिने सत्कार किया था तब सोनागिर क्षेत्रका जलसे सत्कार किया था। माप २५०००) जिक्र होते ही महारानाने कहा कि इस क्षेत्रकी खर्च करके भवनका नया मकान बना रहे हैं। पूर्ण रक्षाका प्रबंध किया जायगा तथा आप जन इस प्रकार यह पर्व सोलापुर, सुरत, उदैपुर, भावे हमें अवश्य मिले आदि ।
SR No.543197
Book TitleDigambar Jain 1924 Varsh 17 Ank 07
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMulchand Kisandas Kapadia
PublisherMulchand Kisandas Kapadia
Publication Year1924
Total Pages42
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Digambar Jain, & India
File Size7 MB
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