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________________ अंक ६ ] दिगम्बर जैन । व बोर्डिंगोंमें अंगरेजी पढ़े लिखे जैन विद्वान अशुद्ध रेशम व अशुद्ध सुती वस्त्रके चंदोंवे, वर्ष में दो वार जाकर जैन धर्मपर व्याख्यान दे। वेष्टन मादि मंदिरोंमें न व जावे अर्थात भो जिन उत्साही विद्वानोंको इस सेवाके करनेका हो उनको भी बदल दिये जावे तथा हरएक : भाव हो वे इस कार्यके मंत्री बा. बलवीरचंद भाई बहिन भी शुद्ध सुती वस्त्रका व्यवहार करे। वकील मुजफ्फरनगरको लिख सकते हैं । वर्षमें यह अहिंसा परमो धर्मः माननेवाले जैनियोंके थोड़ासा समप इप्त कार्यके लिये निकालना लिये कैप्ता उत्तम प्रस्ताव है और इसको पूर्ण अंगरेजी पढ़े लिखे विद्वानोंको मुश्किल नहीं अमलमें कानेको मावश्यकता है वरना हम होगा और उनके व्याख्यानोंसे विद्यार्थियोंपर जैनों अनैनोंके समक्ष हंसीके पात्र होंगे। जैन धर्मकी विशेष छाप पड़ेगी। सातवां प्रस्ताव जैन इतिहास तैयार करनेका तीप्सरा प्रस्ताव ऐसा है कि जैनधर्मकी एक है जिसकी आवश्यकता वर्षोंसे मालूम हुई है। छोटीसी पुस्तक ब्र. सीतलप्रसादनी विद्वानोंके आशा है इसके मंत्री बा• हीरालालनी एम. संशोधन पूर्वक बनावें जिसमें जैन धर्मकी ए. इस कार्यको शीघ्र ही अमल में लावेंगे। प्राचीनता वजैन सिद्धांतका परिचय हो व उसको आठवां प्रस्ताव जैन धर्मप्रचारके लिये उपदेहिंदकी हरएक भाषामें प्रकट करके उसका शक विभाग खोकनेका है जिसमें वैतनिक तो प्रचार सारे हिंदमें करें। यह प्रस्ताव अतीव क्या परन्तु मवैतनिक उपदेशक द्वारा धर्मपचामहत्वपूर्ण व नवीन है। इसपर सहारनपुर स्का यत्न हो । हर्षे है कि प्रस्ताव पास होनेके जिलेके भाइयों जो छापेके विरोधी हैं उन्होंने समय ही बा. जुगलकिशोरनी आदि १०.१२ विरोध किया था परन्तु उनको अच्छी तरहसे महाशयोंने आनररी तौरसे वर्षमें महिने दो समझाने पर वे भी इस कार्यमें सहमत होगये महिने पंद्रह दिन अपने खर्चसे उपदेशार्थ भ्रमण थे यह प्रकट करते हुए हमें बड़ा हर्ष होता है। करने की प्रतिज्ञा की है। आशा है अन्य चौथा प्रस्ताव मारवाडी व देशी अग्रवालमें विद्वान भी इसका अनुकरण करेंगे। कन्या लेनेदेनेका है जो उचित ही हुआ है। नवां पस्ताव तीर्थोके झगड़े मिटानेको उद्योग ..चवा प्रस्ताव जैन संख्या हातके उपायका करने का है। देखे इसका क्या अमल होता है ? है। इसके लिये जो कमेटी नियुक्त हुई है. __दशवां प्रस्ताव बालविवाह, वृद्धविवाह, उनको अब कुछ कार्य करके दिखाना चाहिये । कन्याविक्रय आदि बंद करनेका है उसमें नवीन आशा है इसके मंत्री ला स्तनलालजी जैन विशेषता यह हुई है कि ऐसे विवाह हो उनमें वकील परिश्रमपूर्वक इस कार्यक्री अमली कार- असहकार किया जाय अर्थात् उसमें किसीको बाई करेंगे। शामिल नहीं होना चाहिये । हम समझते हैं छठा प्रस्ताव मंदिरोंमें व जनतामें शुद्ध स्वदे. बालविवाह, वृद्धविवाह, कन्याविक्रय भादि धी सूती बसा ही वापरने का है। अर्थात मतीव रोकनेका यह मसहकारका उपाय बहुत ही
SR No.543196
Book TitleDigambar Jain 1924 Varsh 17 Ank 06
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMulchand Kisandas Kapadia
PublisherMulchand Kisandas Kapadia
Publication Year1924
Total Pages36
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Digambar Jain, & India
File Size7 MB
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