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________________ mommmmmmmmmmm mmmmmmmarnam दिगम्बर जैन । १३ ,, रूपचन्दनी जैन कानपुर प्रस्तावक-बा० रतनलालजी बिजनौर ११ , जुगलकिशोरनी सरसावा भनुमोदक-बा. बलवीरसिंह मुजफरनगर १५ , जोतिप्रसादनी देवबंद प्रस्ताव नं. १६-परिषदकी नियमावली चेतनदासजी हेडमास्टर मथुरा बनाने के लिये नीचे लिखे महाशयोंकी एक छोटेलालजी कलकत्ता कमेटी नियुक्त की जाय, जो नियमावली बना. निर्मलकुमारजी मारा कर मंत्रीको भेन दे । मंत्री उसको प्रकाशित १९, बैजनाथनी श्रावगी। करके सभासदोंके पास संमतिके लिये भेनकर ,, गोकुलचन्दनी दमोह बहुमतसे पास करले । जहांतक हो यह कार्रवाई २१, हरनारायणनी भागलपुर शीघ्र पास होनी चाहिये । २२ , चवरे वकील मकोला बा० चंपतरायजी बैरिष्टर हरदोई २३ ब• दीपचन्दजी वर्णी मजितपसादजी लखनऊ २४ बा० कंछेदीलालजी वकील जबलपुर , जुगमंदरलाल जन इंदौर २५ सेठ चिरंजीलालजी वर्धा नेमीशरणनी वकील बिजनोर २६ रा.व. नांदमलजी मनमेर रतनलाल नी , , २७ बा० मुरारीलाल अम्बाला . साहु जुगमंदिरदास नजीबाबाद २८ रा० ब० लक्ष्मीचन्दनी रईस पानीपत ब्रह्मचारीनी सीतलप्रसादनी २९ रा० ब० प्यारेलाल वकील देहली जुगलकिशोरजी सरसावा मित्रसेननी खतौली २. लाला जग्गीमलनी देहली ३१ सेठ मूलचंद किसनदास कापड़िया सुरत बलवीरसिंहनी मुजफ्फरनगर ३१ , ताराचंद नवलचंद मुंबाई चेतनदासनी मथुरा ३३ ., रतनचंद चुनीलाल जरीवाला इसका कोरम चारका होगा। ३. सेठ फूलचंद हीराचंद सोलापुर प्रस्तावक-सभापति १५ सी. ऐस० मल्लिनाथ मदरास २६ सेठ वर्डमानैयाजी म्हेसुर * विश्वास घातका फल ।* १७ पं० माणिकचंदजी मोरेना ____एक स्यार जंगलसे आया। ३८ चंद्रकुमारजी न्याय काव्य तीर्थ __ भूखा प्यासा मति घवराया ॥ ३९ सेठ लालचंदजी सेठी झालरापाटन तही मृग इक उसे दिखाया। १.पं. बाबूरामनी अहारन देखत ही यों मनमें भाया ॥१॥ ४१ वा. मित्रसेननी खतौली वशमें करूं मृगा यह मान । १२ नेमीचंदनी मुरादाबाद .. जिससे सुधरे मेरा कान ॥
SR No.543196
Book TitleDigambar Jain 1924 Varsh 17 Ank 06
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMulchand Kisandas Kapadia
PublisherMulchand Kisandas Kapadia
Publication Year1924
Total Pages36
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Digambar Jain, & India
File Size7 MB
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