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________________ वर्ष १७ ] दिगम्बर जैन । भारत० दि० जैन परिषदके प्रथ- ९ ए० चक्रवर्ती एम० ए० मदरास माधिवेशन मुजफ्फरनगरमें बाबू बलवीरचन्द्रनी जैन वकील मुनफ्फर ___नगर इसके मंत्री नियुक्त किए गये। मंत्रीजीका स्वीकृत प्रस्ताव । यह भी कार्य होगा कि उन संस्थाओं में जनधर्मकी प्रस्ताव नं. १-यह परिषद निम्नलिखित शिक्षा और उसकी परीक्षाकी भी प्रेरणा करे । महाशोंके असमय वियोगपर शोक प्रगट करती प्रस्तावक-ब० शीतलप्रसादजी .. है और उनके कुटुंबियों प्रति समवेदना समर्थक-पं० महबूबसिंहजी देहली दर्शाती है । १ पं० पन्नालाल नी न्याय दिवा , ला० शिब्बामल नी अंबाला कर, २ ला• जम्बूपसादजी रईस सहारनपुर, प्र. नं. ३-यह परिषद प्रस्ताव करती है ३ लाला दीपचंदनी सहारनपुर, ४ रा. सेठ कि सर्व साधारणको जैन धर्मका अच्छा परिचय मेवारामनी खुर्जा, ५ रा० ला मजितप्रसादनी करानेके लिए एक पुस्तक ऐसी तय्यार की जाय देहरादुन, १० ज्ञानानंदनी, ७ ब. गोकु. कि जिसमें जैनधर्मकी प्राचीनता और सिद्धांत कप्रसादनी ८ ब. जिनेश्वरदासनी। संक्षेपमें आ जावें । यह पुस्तक हिन्दी, उर्दू, प्रस्तावक-सभापति । बंगाली, उड़िया, मराठी, कानडी, तामील, '. प्र. नं २-यह परिषद प्रस्ताव करती है कि तेलगू आदि भाषाओं में प्रकाशित की जावे, एक व्याख्यान विभाग स्थापित किया जाय, जैनधर्मभूषण ब० शीतलप्रसादनी इसको हिंदीमें को जैन स्कूल व जैन बोर्डिंगहाउसोंमें जैन तैयार करें व नीचे लिखे विद्वानोंसे इसका धर्मपर व्याख्यान करानेका प्रबंध करे । और संशोधन कराया जाय । निम्नलिखित महाशयोंसे विशेषतया प्रार्थना की १ न्यायाचार्य पं० गणेशप्रसादजी , वर्णी जाय कि वे १ सालमें कमसे कम इन संस्था- २ , . पं० माणिकचंदनी मोरेना ओंमें दो बार व्याख्यान देवें। ३ बाबू जुगमंदिरलालजी वेरिष्टर इंदौर १ ला० जुगमंदिरदासजी बैरिष्टर व जज इंदौर ४ , चंपतरायनी बैरिष्टर .. हरदोई २, मजितप्रसादनी वकील एम०ए० लखनऊ ५, अजितप्रसादनी एम०ए० वकील लखनऊ ३ श्री जयकुमार देवीदासजी वकील अकोला १५० जुगलकिशोरजी मुख्तार सरसावा १ बा० चंपतरायजी बैरिष्टर । हरदोई - प्रस्तावक-पं० चंद्रकुमारजी न्याय काव्य तीर्थ ५ जैनधर्मभूषण २० शीतलप्रसादनी . समर्थक-पं० बाबूरामनी आगरा १५०. चन्द्रकुमारजी न्याय काव्यतीर्थ प्रस्ताव नं. ४-मारवाड़ी जैन ममवाल और नजीबाबाद देशी जैन अग्रवाल दोनों एक ही जाति हैं, . ७ बबू ऋषभदासनी वकील.मेरठ केवल क्षेत्र भेद होनेसे कोई भेद नहीं होसक्ता, < सी• ऐस० मल्लिनाथ मदरास अतः यह परिषद प्रस्ताव करती है कि दोनों में
SR No.543196
Book TitleDigambar Jain 1924 Varsh 17 Ank 06
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMulchand Kisandas Kapadia
PublisherMulchand Kisandas Kapadia
Publication Year1924
Total Pages36
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Digambar Jain, & India
File Size7 MB
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