SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 10
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ दिगम्बर जन। [वर्ष १७ मुजफ्फरनगरमें महिला परिषद - गोमट्टसार व पंचास्तिकाय पढ़ना चाहिये व मुजफ्फरनगरके मेले में भा० दि० जैन महिला उनकी परीक्षा लेनेके लिये भी माणिकचंद परिषदका १३ वा अधिवेशन दानशीला श्रीमती परीक्षालयको सुचना । बेसरबाईनी बड़वाहके सभापतित्वमें अतीव राणापुर-में मुनि शांतिसागरजीके उपदे. सफलता पूर्वक होगया । श्रीमती पं० मगनबा. शसे पाठशालाको २१६४) व सागवाड़ा ईनी, पं० चंदाबाईनी, रामदेवीबाई, गोपीवाई, विद्यालयको ३७९) मिले थे। संजोदेवी, लाजवंतीवाई, ज्ञानवतीबाई खास गिरनारजी-में तीर्थक्षेत्र कमेटीकी ओरसे पधारे थे । परिषदकी कुल ४ बैंठकें हुई थीं जिनमें मुनीम रखने का प्रबन्ध होगया है । भव प्रबंध बाईयों को अच्छा धर्मोपदेश हुआ व नीचे लिखे सुधरनेकी पूर्ण उम्मेद है । प्रस्ताव पास हुए हैं व परिषदको ९०४) की रांची-में शिखरजीका ईनकसन केस चालू सहायता मिली व ११ ग्राहक जैन महिलाद- है। दोनों ओरसे गवाह होगये हैं । इसमें के होगये । प्रस्ताव (१) कन्याशालाओं की बैरिष्टर चंपतरायजी व बा० अनितपसादजी सुव्यवस्थाके लिये एक इन्सपेक्टर बाई अथवा वकील निःस्वार्थ वृत्तिसे कार्य कर रहे हैं जिससे वृद्ध भाईको रखा जाय (२) बहिनें महीन विदेशी हजारों रुपये का बचाव हमको हो रहा है । वस्त्र पहनना छोडे व धन तथा धर्मको बचाने के दोनों ओरकी वहस ता. १३ मईको पूर्ण हो लिये शुद्ध व स्वदेशी खद्दरके वस्त्र पहिने (३) गई और अब शीघ्र ही केसका फैसला मिलेगा। विधवा व्हेने संतान रहित होनेपर गोद लेवे तो अंतरीक्षजी- में दि मुनीम व पुनारीपर माधी सम्पत्ति अन्यथा सर्व संपत्ति का उपयोग स्त्री श्वे. मनोने फौजदारी केस चलाया है जो शिक्षा प्रचारमें वरे (४) दो जैन स्त्री उपदेशि. चालू है। कायें (प्रौढ अवस्थाकी) उपदेशार्थ रखी जाय श्रुतपंचमीपर भवनका अधिवेशनइसके लिये १२००) वार्षिकका प्रबंध किया जाय ऐलक पन्नालाल दि. जैन सरस्वती भवन बम्ब (६) श्री सौ. कंचनबाई धर्मपत्नी सर सेठ ईका द्वितीय वार्षिक अधिवेशन आगामी ज्येष्ट हुकमचंद्रजोको स्त्री समन सेवाके उपलक्ष्य में सुदी ५ को होगा जिसमें सालभरका कार्य दानशीला व श्रीमती ललिताबाईको विवरण व आम व्यय सुनाया जाकर आगामी जैनमहिलालका पद दिया जावे-(६) साल का कार्य निश्चित होगा। सब भाई अवश्य र देशमें स्त्री व बच्चों की बढ़ती हुई मृत्यु संख्याको पधारें। रसीदास जैन, मंत्री। कम करनेके लिये हरएक पाठशाला व आश्र महावीर के वकज्ञान जयंती का उत्सव स. मोंमें वैद्यकीय पुस्तकें पठनक्रममें रखी जांय म्यक्तबढिनी सभाकी ओरसे सोलापुरमें वैशाख (७) श्राविकाओंको द्रव्यसंग्रह, रत्नकरण्ड व सुदी १०को हुआ था । मंदिरोंमें पूनन व तत्वार्थकी परीक्षाके बाद अर्थ प्रकाशिका, रोशनी हुई थी।
SR No.543196
Book TitleDigambar Jain 1924 Varsh 17 Ank 06
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMulchand Kisandas Kapadia
PublisherMulchand Kisandas Kapadia
Publication Year1924
Total Pages36
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Digambar Jain, & India
File Size7 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy