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________________ me अंक .] दिगम्बर जैन । महावीरजीके मेलेके-लिये प्रतिवर्षकी किया नावे, ८) कितनी ही सरकारी पुस्तकों में मांति इस वर्ष भी ता. १४ से २५ अप्रैल जैनधर्म संबंधी अनेक प्रसंबंद्ध भूलें छप गई है तक नागदा एक्सप्रेस ट्रेन पटोंदा महाबीरोड उसको दूर कराने का पत्रव्यवहार करने के लिये स्टेशनपर ठहरेंगी इस लिये यात्रीगण सीधे ५ महाशयोंकी नियुक्ति, ९) सभ की ओरसे पटोंदा महावीररोडकी ही टिकट लेवें। सांगली जैन बोर्डिगमें एक भैन ग्रन्थालय सर दक्षिण महाराष्ट्र जैन सभा-का २६ स्वतिभवन खोला जावे, (१०) समानमें अनेक वां अधिवेशन हबली में गत माममें मुनि श्री व्यापारी धर्मादा रकम अलग निकालकर अपने जिनविनयनी (श्वे०) के सभापतित्वमें हआ था यहां ही जमा रखकर उसका उपयोग नहीं करते जिसमें इस मतलबके १३ प्रस्ताव पाप्त हुए हैं- हैं इस लिये धर्मादा रकम ज्ञानदानमें तुर्त ही (१) भादगोंडा पाटील, सेठ सखाराम नेमचंद, खुद अथवा अन संस्था द्वारा खर्च करनी चाहिये, सेठ रामचंद नाथा, सेठ गंगाराम नाथा, कुमार (११) श्वेतांवर, दिगंबर, स्थानकवासी जैन सावंतप्पा सांगली, के वियोगका शोक (1) दादा समानमें परस्पर ऐक्य होने की आवश्यक्ता है निनापा आष्टेने १०००० व गप्पा इसलिये दिगंबरी श्वेतांबरीमें धार्मिक सामाजिक शांतप्पा सांगलीने १२०००) मैन विद्यार्थियोंअघडे खडे करनेवालेका निषेध करते हैं व ऐक्य को स्कोलीप देने के लिये निकाले हैं उनको ध. करनेकी कोशिश करने के लिये-जिनविजयजी. न्यवाद, (३) द. म. प्रांतसे विलायत आकर तिलकविजयमी, ल्ढे वकील, चौगले वकील, वेरिस्टर होकर प्रथम भानेवाले श्रीकांत पत्रावले र हीराचंद नेमचंद दोशी, मोतीचंद व्होरा पूना, गोकाकको अभिनंदन, (४) हरएक ग्रामके जैन भाउ पाटील सांगली, सेठ ताराचंद नवलचंद्र, बालक व बालिका पाठशाला नाकर शिक्षा लेवे चतुर पितांबर सांगली, करमसी खेतसी हबली, ऐसी व्यवस्था करना, ५) देशकी औद्योगिक बालूभाई पानाचंद पूना, शीवनी देवशी व पोप. स्थिति सुधारने के लिये स्वदेशी उद्योग धंदे टूलाल टलाल रायचंद शाह पूना ऐसे १३ महाशयोंकी शुरू करने व स्वदेशी वस्तु ही वापरनेकी सुचना नियुक्ति, (१२) जैन जनसंख्या कम होती (६) समाजकी अंतर्मातियोंमें परस्पर रोटी बेटी जाती है उसके लिये नीचे लिखे उपाय करने चाहिये-बाल विवाह बंद हो अथात कन्या व्यवहार किया जावे, (७) सभाकी जैन बोर्डि... १४ व वरकी आयु १९ वर्ष होनेपर ही गोंमें धर्म शिक्षा देने की व्यवस्था रखी गई है विवाह करें, वृद्ध विवाह बंद करें, अंतनोति. परंतु अंगरे नी पढ़नेवाले छात्रों के योग्य धार्मिक यों में विवाह करें, मैनेतरों में जैन धर्म का प्रसार शिक्षाकी खास पुस्तकें तैयारकर प्रकट करने की करें, बहु विवाह बंद हो, कन्याविक्रय वडाका आवश्यकता है। वे न हो वहांतक अभी जो रिवान बंदहो, (१६) सिद्धांत ग्रन्थ श्री जयधवल पुस्तकें चलती हैं उससे काम लिया जावे तथा महाधवल प्रसिद्धि में लाने के लिये मुडविद्रिके पंच धार्मिक शिक्षण प्रचारके लिये उपदेशक नियुक्त व भट्टारकको विनति ।
SR No.543195
Book TitleDigambar Jain 1924 Varsh 17 Ank 05
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMulchand Kisandas Kapadia
PublisherMulchand Kisandas Kapadia
Publication Year1924
Total Pages34
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Digambar Jain, & India
File Size7 MB
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