SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 4
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ दिगम्बर जैन | [ वर्ष १७. पूर्णरूपसे नहीं हुई है इसलिये अब तो हमारा कर्तव्य है कि हम इस वारके महावीर जयंती दिवसको तो इस रूपसे मनावें कि इसकी छाप अन्य मतपर भी पड़े। ऐसा करने के लिये इस दिनका हमारा कार्यक्रम इस प्रकार होना चाहिये(१) गृह, मंदिरों, व दुकानोंपर सजावट करनी चाहिये २] सभी अंगरेजी पढ़े लिखे वकील बैरिस्टरों तथा नौकरीवाले भाइयों को इस प्रतिष्ठा अधिवेशनोंके लाभ लेनेका अमूल्य अवसर आपहुंचा है जिसको न चूकना चाहिये । पूज्य ब्रह्मचारी शीतलप्रसादजी इस मौकेपर ( पानीपत के मेले में होकर ) यहां अवश्य पधारेंगे तथा बहुत करके हम भी नीमच होकर यहां जावेंगे इस लिये आगामी अंक मुजफ्फरनगर के समाचार सहित ही प्रकट होगा । * * गतांकमें तो हम स्मरण कराचुके हैं और फिर भी पाठकोंको याद महावीर जयंती दिलाते हैं कि हमारे उत्सव । अंतिम तीर्थंकर श्री महावीर प्रभुकी जन्म तिथि - जयंती आगामी चैत्र सुदी १६ को अभी ही आती है इसलिये इस पुण्य दिनको प्रत्येक जैनी भाई हरएक स्थान पर जहांतक हो एक बड़े भारी त्यौहार रूप में मनायें । अन्य धर्मियोंकी जन्माष्टमी, रामनवमी आदि जयंतीपर्व कितने सार्वजनिक प्रचलित हैं कि उनकी सार्वजनिक छुट्टी सरकारकी ओर से भी रहती है, परंतु जैनोंका ही दुर्भाग्य है कि उनकी महावीर जयंतीका परम पुण्यवंत दिन जाहिर त्यौहाररूपसे नहीं माना जाता इसमें खास दोष तो हमारा ही है । क्यों कि बहुत वर्षो तक तो हम महावीर जयंती पर्व 1 मनाना मूल ही गये और अब आठ दश वर्षसे पवित्र काश्मीरी केशर मनाने लगे हैं, परंतु वह जिस बृहतरूपसे मनाया क' भाव जाना चाहिये, नहीं मनाया जाता जिससे ही (३) फी तोला है । इस पर्वकी व्यापकता अन्य समाजों में व सरकार में मैनेजर- दि० जैन पुस्तकालय - सूरत । (२) हरएक मंदिर में सुबह महावीर पूजन "होकर महावीरचरित्र शास्त्र सभामें सुनना चाहिये। (३) गृहपर इस दिनको लग्नशादी के दिनसे भी पवित्र दिन मानना चाहिये । (५) शामको हरएक ग्राम व नगर में बड़ी भारी आमसभा करके महावीर जयंति उत्सव मनाना चाहिये जिसमें तीनों सम्प्रदाय के जैनी भाइयोंको तो क्या, परन्तु शहर के तमाम धर्मके भाइयों व सरकारी ओफिसरोंको भी आमंत्रण करके बुलाना चाहिये व उसमें महावीर जीवन और हमारा कर्तव्यपर हमारे विद्वानोंके व्याख्यान कराने चाहिये तथा महावीर जयंती दिन पब्लिक होली डे ( जाहिर त्यौहार ) गवर्नमेंट द्वारा माना जावे ऐसा प्रस्ताव भी करना चाहिये । हम समझते हैं कि यदि हम इस विषय में जोरशोरसे आंदोलन जारी रखेंगे तो भविष्य में हमारा महावीर जयंती दिन सार्वजनिक प्रसिद्धि में आ जायगा । आशा है हमारे पाठक इस निवेदनपर अवश्य ध्यान देवेंगे ।
SR No.543195
Book TitleDigambar Jain 1924 Varsh 17 Ank 05
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMulchand Kisandas Kapadia
PublisherMulchand Kisandas Kapadia
Publication Year1924
Total Pages34
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Digambar Jain, & India
File Size7 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy