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________________ ॥ श्रीवीतरागाय नमः ॥ दिगंबर जैन. THE DIGAMBAR JAIN. नाना कलाभिर्विविधश्च तत्त्वैः सत्योपदेशैस्सुगवेषणाभिः । संबोधयत्पत्रमिदं प्रवर्तताम्, दैगम्बर जैन-समाज-मात्रम् ॥ वर्ष १७ वॉ. || 'वीर संवत् २४५०. फाल्गुन वि० सं० १९८०. ।। अंक ५ वां समाह का जी पढे लिखे भाइयों ने जो यह कार्य उठाया है वह उचित ही है। परिषदके स्थायी सभापति तो बेरिस्टर चम्पतरायनी हैं व इस मधिवेशनके सभापति रायसाहब बा.प्यारेलालजी वकील देहली गतांकके समाचारोंसे पाठकों को अच्छी तरह जो कि हमारे पुराने पढ़े लेखे, धर्मज्ञ व अंगरेजीके मालुम होगया होगा कि भी विद्वान हैं तथा जो आजकल बड़ी धारासमामें । मुजफ्फरनगर में आगामी चैत्र सुदी १३ प्रनाके एक सभासद हैं वे ही होंगे यह मानकर महा-मेला। से वैशाख वदी २ तक किसको खुशी न होगी ? हमें याद है कि बा० मुजफ्फरनगरमें वेदी- प्यारेलालजी वकील इतने सीधे सादे हैं जो न प्रतिष्ठा के साथ भारत दि जैन परिषदका तो अपना चित्र प्रकट होना चाहते हैं और न प्रथम अधिवेशन होनेवाला है और विशेष किसी सभाके सभापति बनना चाहते हैं उन्होंने खुशीके समाचार यह भी मिले हैं कि इस मौके-. इसवार ही सभापतिका स्थान स्वीकार किया है। पर वहां भारत दि. जैन महिला परिषद् का भी इससे आप जैसे अनुभवी विचारशील अनन्य देश१३ वां वार्षिक अधिवेशन धूमधामसे होगा। व जातिभक्त अगुएके अधिपतित्वमें परिषद्का इस महामेले का समय अतीव निकट है इसलिये प्रथम अधिवेशन यशस्वी होने की पूर्ण उम्मेद है। माईयों व बहिनोंको तुर्त ही मुजफ्फरनगर रवाना महिला परिषद के सभापति भी दानशीला श्रीमती होनाना चाहिये । परिषद्के इतिहाप्लसे हमारे बेसरबाईनी बड़वाहा, जिन्होंने विद्यादान में हमारों पाठक परिचित ही होंगे कि इसकी स्थापना रुपये मानवक खर्च किये हैं तथा जो बड़ी महासमाके गत देहली अधिवेशनके दिनों में धर्मात्मा हैं, वे होंगे, इससे महिला परिषद व हमारे विद्वान पढ़े लिखे महाशयोंने जैन समाज व उसके पत्र ' महिलादर्श' की विशेष उन्नति धर्मकी विशेष सेवा व उन्नति करने के लिये की थी। होनेकी भी इस अधिवेशनमें पूर्ण उम्मेद है। महासभा तथा जैनगमटकी स्थिति देखते हुए अंग्रे. इस मौकेपर इस्टरकी छुट्टीके दिन भाजानेसे
SR No.543195
Book TitleDigambar Jain 1924 Varsh 17 Ank 05
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMulchand Kisandas Kapadia
PublisherMulchand Kisandas Kapadia
Publication Year1924
Total Pages34
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Digambar Jain, & India
File Size7 MB
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