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________________ अंक १ ] दिगम्बर जैन | [ २७ SAKIMIKKEIIIX समय किसी आदमीने उन लोगोंको सलाह दी मिट्टी के उपचार । कि जुम्टके पास जाकर इसकी जांच कराई XRRATA जायगी तो अच्छा होगा। वैसा ही किया गया। जुने उस सर्प काटे हुए आदमीको पहिले मिट्टी में गडवा दिया और फिर इसके थोडी ही देर बाद निकाल कर देखा गया तो उसे सुध आगई थी । यह अघटित घटना है, परन्तु जुस्टको झूठ लिखनेका कोई कारण नहीं है । मिट्टीमें गडवानेसे बहुत गरमीका होना तो प्रकट बात है, परन्तु उस सांप काटे पर मिट्टींके अदृश्य जन्तुओंका क्या प्रभाव पडा, इसके जानने का कोई साधन नहीं हैं । तत्र भी इतना तो जान पडता है कि मिट्टी में विषको चूस लेनेका गुण है | इतना होनेपर भी जुट लिखता है कि किसीको यह न समझ लेना चाहिये कि सांप काटे हुए सभी मिट्टी इलाज से जी उठते हैं, परन्तु किसी खास मौकेपर मिट्टीका इलाज करना आवश्यक है । बिच्छू और ततैया के काटेवर मिट्टीका इलाज विशेष उपयोगी है। इनके डंकोंपर मैंने स्वयं परीक्षा करके देखा है कि इस इलाजसे तुरन्त लाभ हुआ है । ऐसे समय डंकपर मिट्टीको ठंडे पानी में मलकर गाढी पुलटिस बांत्र देनी चाहिये और उसपर पट्टी बांध देनी चाहिये । नीचे लिखे हुए उदाहरणों में मैंने मिट्टीके उपचारका स्वयं अनुभव किया है । दस्तवाले के. पेडूपर मिट्टीकी पुलटिस बांधने से दो तीन दिन में आराम हो गया है । सिरदर्दवालोंके सिरपर मिट्टीकी पुलटिससे तत्काल लाभ हुआ है । आंखोंपर मिट्टीकी पुकटिल बांधने से आंखों का मिट्टीके उपचारोंके सम्बन्धमें भी हमें थोड़ी बहुत जानकारो की आवश्यकता है; क्योंकि कितने ही रोगों में पानी के इलाज से भी मिट्टी के इलाज आश्चर्यकारक देखे गये हैं । हमारे शरीरका बहुतसा भाग मिट्टीका बना है, इस कारण यदि हमारे शरीरपर मिट्टीका प्रभाव पड़े तो इसमें कोई आश्चर्य की बात नहीं है। मिट्टीको सब पवित्र मानते हैं । दुर्गंध दूर करनेके लिये मिट्टीसे जमीन लीपी जाती है, सडी हुई जगह मिट्टीसे पूरी जाती है, हाथ मिट्टीसे साफ किये जाते हैं। यहांतक कि गुप्त अंग भी मिट्टी से पवित्र किये जाते हैं । इस देश ( नाताल ) के लोग फोडे फुन्सियों पर मिट्टीका प्रयोग करते हैं । मुर्दो को मिट्टीके भीतर गाडनेसे वे हवा को खराब नहीं कर सकते । मिट्टीकी इस महिमासे हम अनुमान कर सकते हैं कि मिट्टी में कितने ही खास और उत्तम गुणोंका होना संभव है । जैसे लुइकूनेने पानी के सम्बन्ध में बहुत विचार करके कितने ही अच्छे अच्छे लेख लिखे हैं वैसे ही जुस्ट नाम के एक जर्मनने मिट्टी के संब में बहुत कुछ लिखा है । उसका तो यहांतक कहना है कि मिट्टी के उपचारसे असाध्य रोग भी मिट सकते हैं । उसने लिखा है कि I एक बार उसके पास के गांव में एक आदमीको सपिने काट खाया था, बहुतसे आदमियोंने समझ लिया कि वह मर गया, परन्तु उस
SR No.543195
Book TitleDigambar Jain 1924 Varsh 17 Ank 05
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMulchand Kisandas Kapadia
PublisherMulchand Kisandas Kapadia
Publication Year1924
Total Pages34
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Digambar Jain, & India
File Size7 MB
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