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________________ ( ३ ) धार्मिक ग्रन्थ नवीन ( पृ० करीब २०० ) - हारके लिये हम तैयार कररहे हैं अर्थात् २४४९-५० के दो उपहार ग्रन्थ तैयार होने पर इन दो वर्षोंका मूल्य वी० पी० से वसूल किया जायगा । जिनको मनियोर्डर से मूल्य भेतना हो वे खुशी से भेन सकते हैं । २४२० में निको दिगम्बर जैन न मगाना हो वे २४४९ का मूल्य मेनई व हमें पत्रद्वारा सूचना दे । उनको २४४९ का उपहार ग्रंथ अवश्य दिय. नायगा । * * हम १०-१२ वर्षों से प्रतिवर्ष के प्रारम्भ में दिगम्बर जैनका सचित्र खास अंक प्रकट करते हैं इसी प्रकार २४९० में भी सचित्र खास अंक प्रकट करनेका हमने निश्चय किया है । इसारके खास अंक में कमसेकम १०-१५ चित्र प्रकटहोंगे व करीब १०० का प्रकट होगा । इसमें एक राष्ट्रीय रंगीन चित्र तो ऐसा प्रकट होगा कि जो जैनियों को मनी मालूम पड़ेगा व देशसेवा के लिये हम मी आगे मा सकेंगे । इस अंक में नागपुर झंडा सत्याग्रह में बलि हुए कई जैनवीरोंका सचित्र परिचय देने हम प्रबन्ध कर रहे हैं तथा इसके लिये ऐतिहासिक, धार्मिक, व्यवहारिक लेखोंकी भी हमें आवश्यकता है। खास करके हिन्दी व गुजराती भाषा में अंक प्रकट होगा परन्तु दुपरी दो चार भाषाओके लेख मी एक २ दो२ रहेंगे । महांतक हो हम यह जल्दी ही एक माह मीतर २ प्रकट करेंगे इसलिये लेख व चित्र भेजने वाले हमें अपने ग्राहकों का मूल्य मी.. हम वसूत्र कर सकेथे इसका हमें खेद है परंतु अब हर्ष है कि इन दो वर्षोंके तीन उपहार प्रन्य-नैन इतिहास प्र० भाग, श्रावक प्रतिक्रमण व चालबोध जैन धर्म तैयार होकर प्रकट होचुके व सब ग्राहकों को वी० पी० से भेजे जा चुके हैं। वीर सं० २४४७-२४४८ इन दो वर्षो सभी अंक जब सब ग्राहकको पहुंच चुके हैं तब किसी को भी वी० पी० लेने में इन्कार न होना चहिये तो मो कितनेक ग्राह कोने वी० पी० वापित की है यह उनको योग्य नहीं है । जब पूरा २ लाप मित्र चुका है तब मूल्य दे देना चाहिये। आशा है कि जिन्होंने बी० पी० वापिस की है वे फिरसे वी० पी० मंगावेंगे अथवा मनिभोर्डर से ३||=) भेन देंगे । चालू वर्ष वीर सं० २१४९ का मूल्य तो प्रायः सभी ग्राहकों से लेनेका ही है और वह इसलिये नहीं किया है कि इसका उपहार ग्रन्थ तैयार होने का है। यह वर्ष भी खतम हुआ है और नवीन वर्ष आगामी मातसे प्रारंभ होगा इसलिये हमने ऐसा निश्चय किया है कि इस आगामी वर्षा इस प्रकार फिर दो वर्षो का मूल्य भी हम आगमी वर्ष में एक साथ बी० पी० से वसुल कर लेंगे जिससे ग्राहकों को मनिभोर्डर व रजिस्ट्री फीसके चार आने बत्र जायेंगे। वीर सं• १४४९ ( वर्ष १६) का उपहार ग्रन्थ " नीतिवाक्य पाळा " जो दुनिया के विद्वानोंका वचनामृत पिटारा है छप रहा है और २००-२२९ पृष्ठों में तैयार होगा. तथा वीरसं० २४५० के दिये मी एक बड़ा दिगंबर जैन । 100% सचित्र खास अंक ।
SR No.543190
Book TitleDigambar Jain 1923 Varsh 16 Ank 12
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMulchand Kisandas Kapadia
PublisherMulchand Kisandas Kapadia
Publication Year1923
Total Pages38
LanguageHindi
ClassificationMagazine, India_Digambar Jain, & India
File Size10 MB
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