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दिगंबर जैन ।
मुनिश्वर जो दान लेते हैं उनका हाथ नीचा है कि श्री जेन अनाथ अम देहनी. होता है और देने वाले का ऊना होता है। नो में जी खोलकर दान करो, इसमें इस वक्त जैन दान देते हैं ! उन्हें हमेशा दानशर इत्यादि जातिके ६० विद्यार्थी उच्च कोटीकी शिक्षा पाएँ कहकर पुकारते हैं ! दानो बादलों की तरह हैं । भोजन वस्त्र औषध सब विद्यर्थियों को स्वच्छताको प्रप्त होने हैं से- जब बादल दिया जाता है। .... जल भरकर लाते हैं और वह जल नहीं देते, इस संस्थ में दान देने से आपको चारों काले रहते हैं लेकिन जब वह जल छोड देते दानोका फल होगा। प्रथम आहारदाव, विद्याहैं, स्वच्छताको प्राप्त हो जाते हैं : बादल गो
र्थियों को भोजन दिया जाता है । औधि दान,
औषधि आवश्यकतानुसार दीनाती है। प्राणियोंको जल देते हैं उनका जल शीतल और मिष्ट होत है और समुद्र जो जोड़ता है
शास्त्र दान, उच्च कोटीकी शिक्षा दे नाती है
जिससे विद्यार्थी जाति व धर्मकी सेवा करें । उसका जल खारा होता है,कोई भी नहीं पीता।
अभयदान, इससे बढ़कर और क्या अभयदान इन सब बातोंसे आपको मालूम होगया होगा कि दानीकी पदवीके बराबर किपीकी ऊंत्री
होगा कि बारह २ दिनके बच्चे पल रहे हैं ।
विधवाओंको भी घर बैठे ४)से ८)तक मासिक पदवी नहीं । आदीश्वा भगवानको राना श्रेयांशने दान दिया तो वह देवों और चक्रव
सहायता दी जाती है व और सब बात आपको से पूजनीय हुए थे।
रिपोर्टसे विदेत होगी। दान सब प्रकारका
दे सकते हैं। दान इत्यादि भेनने और पत्र व्य दान किसको देना चाहिये।
वहार करने का पता यह है-मंत्री, जैन अनाथादान उनको देना चाहिये जिनको दानकी
श्रम, दरियागंन, देहली। आवश्यकता हो । पहिले समयमें मुनीश्वरको
जातिसेवक-विद्यानन्द शेरसिंह । दान दिया करते थे लेकिन अ जाल हम अभा
भूतपूर्व विद्यार्थी, जैन अनाथालय-देहली। गोंके लिये उनके दर्शन भी दुर्लभ है । अब उनको दान देना चाहिये जो बिचारे अनाथ, सा२४ सुरेन्द्रजीतने मुस्ता पत्र ! अपाहज,लंगड़े, लूले हैं, जिनके माता ५युष५ ५ना पत्र दिवसमा पिता मर गए हैं या उन पतिव्रता.
ઝેરના ઝેરે વધારશે કે ધટાડશે ?
આપનો પરિચય સુરતમાં ગત વિશાખ માસમાં : ओंको जो बिचारी विधवा है- ना सनी पत्तिा वमते आपना व्यपाना
દ્વારા કંઈક થયે તે વખતે આ ની ભાવન
જંદગી જૈન સમાજના ઉ ઉ મ.ટેક થતી बिचारे न जातिके लाल हैं और जैन जातिसे यश मम स यता ते ५२ nि साये।
જણાવવું પડે છે કે ઝેરમાં પડેલા બે તડોમાં पृथक होकर मुसलमान, ईसाई हो रहे हैं! मागे मा५ पधारे ५२ ५४ी खानु one इनको बचाने के लिये भाइयों ! तुम्हारा कर्तव्य मापने मा भुक्षा ५ मा दिया थे.