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___ दिगंबर जैन । आगामी वीर निर्वाण संवत २ ४ २ ० के प्रारंभ झालाक्षिणी पर्वमें
में भी प्रतिवर्षको सचित्र खास भांति हमारा विचार
हमारा कर्तव्य । अंक। दिगम्बर जैन' का सचित्र प्रिय भारतीय जैनी भाइयो ! आपको विदित
खास अंक प्रकट करनेका है कि दशलाक्षिणी पर्व हमारा कितना निश्चित रूपसे है इसलिये हमारे सुज्ञ उत्तम पर्व है । इससे बढ़कर हमारा पर्व नहीं लेखकोंको हम अभीसे आमंत्रण करते हैं कि है अतएव इन पर्वो में कमसे कम भाइयोंको वे हिंदी, संस्कृत, गुजराती, मराठी व अंग्रेजी देवपूजा, गुरु उपासना, स्वाध्याय, संयम, तप, . भाषाके उपयोगी लेख शीघ्र ही तैयार करके दान यह छै कर्म (नो श्रावकों के लिये प्रति दिन भेनें व कोई भाई अप्रकट प्राचीन तीर्थोके, पालन करनेके हैं ) अवश्य करने चाहिये । इस संस्थाओंके व प्रसिद्ध दानी धर्मात्माओंके चित्र षट्कर्मों में दान मुख्य है । चूकि ५ कोसे व परिचय भेजेंगे तो उनको भी सहर्ष स्थान तो अपना भला होता है और दान तो दूसरोंके दिया जायगा । इस वर्ष भी करीब १००- भलोंके लिये रक्खा गया है। १२५ पृष्ठका खाप्त अंक निकालनेका हमारा यह तो आपको विदित है कि दानीका पद इरादा है। आशा है हमारे लेखकगण व कितना बड़ा है । कोई उर्दूका कवि कहता हैग्राहकगण हमें इस कार्यमें अवश्य सहायक होंगे। अगर मंजूर धन रक्षा, - दाहोद-की पाठशालाके १०१) हेमचन्द तो धनवानों ! बनो दानी । बापुजी, ५१) बोबड़ा परथीराज मंगलजीत व कुवेसे जल न निकलेगा, ११) तलाटी भोजराजनीने दिये हैं। यहां तो सड़ जायगा सब पानी ॥ पं. दीपचंदजी वर्णी इस चातुर्मासमें भी पधारे दिया जल हमको बादलने, हैं और आपकी प्रधानतामें दाहोदमें जैन बोर्डिंग तो बादल होगया ऊंचा। निकालने के लिये एक डेप्युटेशन गुजरातमें
रहा नीचा ही सागर है, . भ्रमण करेगा । दाहोद मालवा व गुजरातका
अदाताको पशेमानी ॥ मध्य बिन्दु है।
कोई देता धन जीकर, गोमहस्वामी मस्ताभिषेक-श्री श्र.... कोई मरकर देता है। वण बेलगोलामें आगामी फाल्गुन मासमें श्री जरासे फेरसे बन जाते, .. गोमट्टस्वामी का महा मस्तकाभिषेक १५ वर्षके
हैं-ज्ञानीसे अज्ञानी ॥ बाद होगा। खर्चके लिये तीर्थक्षेत्र कमेटीसे आपको इस कवितासे विदित होगया होगा कि १८०००)की मंजूरी दीगई है। इस समय वहां दानीका पद कितना ऊंचा होता है । दान देने कई सभाएँ व प्रदर्शिनी भी होगी।। वालेका हाथ हमेशा ऊंचा होता है।